Rajasthan Politics, जयपुर: देश के पांच राज्यों में विधानसभा के गठन के लिए हो चुके हार-जीत के फैसले के बाद इन दो दिन में राजनैतिक परिदृ्य में बहुत कुछ बदला है। एक बड़ा राजस्थान की राजनीति में भी है। यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चार दिग्गज सांसदों को अपने मौजूदा पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। अगले पांच साल तक इनका नया ठिकाना अब दिल्ली का संसद भवन नहीं, बल्कि राजस्थान की विधानसभा होगी। इनमें दीयाकुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौर, महंत बालक नाथ और किरोड़ी लाल मीणा के नाम हैं।
199 में से 115 सीट जीती हैं भाजपा ने
ध्यान रहे, राजस्थान में 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर ही मतदान हुआ था। करणपुर सीट पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन का यहां चुनाव प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी। रविवार को सामने आए चुनावी नतीजों में इन 199 में से 115 सीटों पर राष्ट्रीय स्तर के राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई है। खास बात यह है कि इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और सात सांसदों समेत बहुत सी सीटों के नतीजों पर हर किसी की नजर टिकी हुई थी।
सात में से चार सांसदों ने कितने-कितने अंतर कराई जीत दर्ज?
राजस्थान विधानसभा चुनाव के रण में उतारे गए भाजपा के सात में से चार विजयी सांसदों में जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखतीं राजसमंद की मौजूदा लोकसभा सांसद दीया कुमारी ने जयपुर की विद्याधरनगर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सीताराम अग्रवाल को 71,368 वोटों के बड़े अंतर से हराया है। जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से दो बार के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने झोटवाड़ा विधाानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक चौधरी को 50,167 वोटों से पछाड़ा है। अलवर के लोकसभा सदस्य महंत बालक नाथ ने जिले की तिजारा सीट पर कांग्रेस के इमरान खान को 6,173 वोटों से मात देकर जीत दर्ज कराई है। इसी के साथ सवाई माधोपुर सीट पर भाजपा के राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा ने कांग्रेस उम्मीदवार दानिश अबरार को 22 हजार वोटों के अंतर से शिकस्त दी है।
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अब देना पड़ेगा इस्तीफा
अब ये सांसद अपने संसदीय पद से इस्तीफा देने की स्थिति में हैं और सूत्रों का मानना है कि जल्द ही ये चारों अपने इन पदों को त्यागकर नए पद को स्वीकार करेंगे, जिसके बाद इनका अगला ठिकाना राजस्थान विधानसभा होगी। जहां तक नियम की बात है, संविधान के अनुच्छेद 101 के तहत 1950 में राष्ट्रपति द्वारा जारी ‘एक साथ दो सदनों की सदस्यता का प्रतिषेध संबंधी नियम’ पर बात करते हुए पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचारी (संविधान विशेषज्ञ) ने बताया कि विधानसभा चुनाव जीत चुके सांसदों के पास अब से 14 दिन का वक्त है। इन 14 दिन के भीतर इन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया तो फिर नियमानुसार इनकी सदस्यता अपने आप भंग हो जाएगी।
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