बारां: राजस्थान में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां जोरों पर हैं, लेकिन इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने अपना उम्मीदवार बदलने की नौबत आ गई है। पार्टी को बारां जिले के बारां-अटरू विधानसभा क्षेत्र से अपनी उम्मीदवार सारिका सिंह की जगह दूसरा कोई चेहरा तलाशना पड़ सकता है। चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित इस सीट पर भाजपा की उम्मीदवार सारिका सिंह के पास जाति प्रमाण पत्र नहीं है। पूरे डॉक्यूमेंट नहीं होने के चलते चुनाव अधिकारी ने उनके फार्म को लेने से इनकार कर दिया। हालांकि सारिका सिंह का कहना कि उन्होंने कलेक्ट्रेट में जाति प्रमाण पत्र बनाने का आवेदन दिया है, लेकिन इसी बीच संभावना जताई जा रही है कि भाजपा उनकी बजाय किसी और को टिकट दे सकती है।
सारिका सिंह का मध्य प्रदेश स्थित मायका OBC में आता है तो राजस्थान में स्थित ससुराल आता है SC में
यहां इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि बारां-अटरू विधानसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार घोषित सारिका सिंह मध्य प्रदेश की निवासी हैं। वहां वह अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में आती हैं, जबकि राजस्थान में ब्याहे जाने के बाद उनकी जाति पर संशय खड़ा हो गया है। यहां उनका ससुराल परिवार अनुसूचति जाति वर्ग से ताल्लुक रखता है और यह सीट इसी वर्ग के लिए आरक्षित होने के चलते भाजपा ने सारिका को अपना उम्मीदवार बनाया था। अब यही उनकी और पार्टी की परेशानी की वजह बन गया।
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एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ कौन जीत रहा है?
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दरअसल, रिजर्व सीट पर प्रत्याशी घोषित सारिका सिंह के पास SC का सर्टिफिकेट नहीं है। इसकी वजह से चुनाव अधिकारी ने उनके फार्म को लेने से मना कर दिया। हालांकि सारिका सिंह की तरफ से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कलेक्ट्रेट में आवेदन दिए जाने की बात कही है, लेकिन दूसरी ओर पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस सीट पर उम्मीदवार बदलने को लेकर मंथन चल रहा है।
भाजपा में बढ़ सकती है रार
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उल्लेखनीय है कि हाड़ौती को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। झालावाड़-बारां सीट से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कई बार सांसद रह चुकी हैं, वहीं अब उनके पुत्र दुष्यंत सिंह लगातार तीसरी बार सांसद हैं। पार्टी की हालिया उम्मीदवार सारिका की जिला प्रमुख रह चुकी हैं तो उनके चचेरे ससुर औंकारलाल चौहान जनता दल सरकार में स्वास्थ्य उप मंत्री रह चुके हैं। अब अगर सारिका का टिकट बदला जाता है तो बारां-अटरू सीट पर फिर दावेदारों के बीच घमासान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। खास बात यह भी है कि यहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों को बगावत का सामना करना पड़ रहा है।