Arun gawli life term reduces: अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली जेल से रिहा होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसकी दया याचिका स्वीकार कर ली है। मामले में सुनवाई करते हुए नागपुर खंडपीठ ने मामले में नागपुर सेंट्रल जेल प्रशासन और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर इस बारे में जवाब मांगा है। अदालत ने साल 2006 के अधिनियम के तहत डॉन की रिहाई का निर्देश दिया है। दरअसल, इस नियम में 14 साल जेल में सजा काटने पर उन कैदियों की रिहा किया जा सकता है, जिनकी उम्र 65 साल या उससे अधिक हो।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली को रिहा करने के निर्देश दिए
---विज्ञापन---◆ उन्हें 2012 में पूर्व शिवसेना विधायक कमलाकर जामसंदेकर की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी
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पांचवीं तक पढ़ा है अरुण गवली
जानकारी के अनुसार अरुण गवली के पिता का नाम गुलाबराव था। वह मूल रूप से मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के रहने वाले थे। गुलाबराव काम की तलाश में मुंबई पहुंचे थे। गवली का परिवार मुंबई की दगली चाल में रहता है। अरुण गवली पांचवीं तक पढ़ा है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार साल 1980 में वह मुंबई के कुख्यात बदमाश राम नाइक की गैंग में शामिल हो गया था। जिसके बाद उसने अपना अलग गिरोह बना लिया।
जुर्म की दुनिया में कहते हैं ‘डैडी‘
पुलिस के अनुसार कभी अरुण गवली की गैंग में 1000 से अधिक सदस्य थे। मुंबई में उसकी तूती बोलती थी, एक समय था जब वह दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के साथ काम करता था। अरुण गवली खुद को देशभक्त दर्शाता था, जिसके बाद वह दाऊद और उसकी गैंग से अलग अकेला काम करने लगा। अपराध की दुनिया में गवली को उसके साथी ‘डैडी’ कहकर पुकारते हैं। उसने दाऊद इब्राहिम को धमकी दी थी।
बीमार है डॉन, फेफड़े में संक्रमण को कोर्ट में बनाया आधार
साल 2012 में गवली को पूर्व शिवसेना विधायक कमलाकर जामसंदेकर की हत्या के मामले में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वह इस हत्याकांड में 16 साल जेल में काट चुका है। उसने फेफड़ों में संक्रमण होने को आधार बनाकर अदालत में दया याचिका दायर की थी।