MP News: भोपाल में आज आदिवासी समागम हुआ। जनजातीय सुरक्षा मंच के बैनर तले एक रैली और जनसभा का आयोजन किया गया। जिसमें एमपी के 40 जिलों से जनजातीय समाज के लोग 80 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। इसमें आदिवासियों ने मांग की कि धर्मांतरित व्यक्ति को जनजाति के अधिकार नहीं मिलने चाहिए। जिसमें कई मांगें की गई हैं।
दिल्ली कूच करने की कही बात
आदिवासी समाज की तरफ से कहा गया कि जिन लोगों ने धर्मांतरित किया है, उनके लिए डी-लिस्टिंग प्रक्रिया अपनाई जाए । जिसके तहत ऐसे लोगों को आदिवासी सूची से हटाया जाए जो धर्मांतरण कर दूसरा धर्म अपनाकर भी आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। इस मांग को लेकर दिल्ली में कूच करने की बात भी आदिवासी संगठन की तरफ से की गई है।
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40 जिलों से पहुंचे लोग
बता दें कि आज के इस आयोजन में मध्य प्रदेश के 40 जिलों से जनजातीय समाज के लोग पहुंचे हैं। जहां जनजातीय सुरक्षा मंच के संयोजक भगत सिंह नेताम ने कहा कि ‘जनजातीय समाज से जुड़ा कोई भी व्यक्ति अगर धर्म परिवर्तन करता है और फिर उसके बाद सरकारी नौकरी में जाता है, या सरकारी नौकरी करता है तो यह गलत हैं। क्योंकि यह जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और अस्तित्व की चिंता से जुड़ा हुआ विषय है। यह जनजाति ही नहीं बल्कि मूल सनातन की अग्रिम पंक्ति में रहने वाले समाज का विषय है। शहरों में रहने वाले प्रबुद्धजन नहीं जानते कि संकट कितना बड़ा है, इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए।
एमपी में 2 करोड़ से ज्यादा आदिवासी
बता दें कि एमपी में 21 फीसदी आदिवासी वोटर हैं जिनकी संख्या करीब 2 करोड़ से ज्यादा है। कांग्रेस या बीजेपी दोनों दल एक बार फिर आदिवासी वोटर को लेकर 2023 एमपी विधानसभा और फिर 2024 लोकसभा चुनाव में अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटे हैं।
खास बात यह है कि इस साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह समाज सबसे ज्यादा अहम माना जा रहा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस समाज को लुभाने में जुटी हैं। क्योंकि मध्य प्रदेश में माना जाता है कि जिस पार्टी के लिए आदिवासी वर्ग समर्थन करता है, उसकी सरकार बनी तय मानी जाती है।
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