देशभर में कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और अब गुजरात इस मामले में भारत के टॉप 5 राज्यों की लिस्ट में शामिल हो गया है। गवर्नमेंट डाटा की बात करें तो हर साल राज्य में कुत्ते के काटने एवरेज मामले 2.41 लाख से ज्यादा हैं, यानी डेली करीब 700 से ज्यादा मामले दर्ज हो रहे हैं। यह स्थिति अब न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ा रही है, बल्कि आम जनता के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
हाल की घटनाओं की बात करें तो 8 अगस्त को वड़ोदरा के दभोई में 3 घंटे के भीतर 30 से ज्यादा लोगों को कुत्ते ने काटा, 6 अगस्त को अमरेली में शनिवार को एक दो साल के बच्चे को उसके पिता के सामने कुत्ता जबड़े में दबोचकर भागा, जिसे बाप ने बड़ी मुश्किल से छुड़ाया, 4 अगस्त को छोटा उदेपुर में कुत्ते के काटने से एक 3 साल के मासूम वंश की मौत हो गई।
5 जून को मेहसाणा के खेरालु में 44 साल की एक महिला की रेबीज के चलते मौत हो गई। 13 मई को घरवालों के सामने एक पालतू कुत्ते ने अहमदाबाद के हाथीजन में 4 महीने के मासूम को काट के मार डाला। ऐसे न जाने कितने मामले हैं जो अब दहशत की वजह बन चुके हैं।
अहमदाबाद में एनिमल बाइट के 29,206 केस दर्ज
अहमदाबाद शहर के असारवा सिविल अस्पताल में साल 2023 से मई 2025 के बीच एनिमल बाइट के कुल 29,206 केस दर्ज किए गए। इसका मतलब है कि औसतन हर दिन लगभग 33 मरीज सिर्फ इसी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं। अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. राकेश जोशी के अनुसार, असारवा सिविल अस्पताल में दर्ज किए गए। सभी एनिमल बाइट मामलों में से करीब 95% कुत्तों के काटने से संबंधित हैं। इनमें 17,789 पुरुष, 5,696 महिलाएं और 5,721 बच्चे शामिल हैं।
किन जानवरों से फैलता है रेबीज
कुत्तों सहित अन्य जानवरों जैसे बिल्ली, बंदर और चमगादड़ के काटने से रेबीज (Rabies) नाम का वायरस शरीर में एंट्री करता है। यह वायरस संक्रमित जानवर की लार से फैलता है और सीधे सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। डॉक्टर के मुताबिक, यह वायरस शरीर में घुसने के बाद 3 से 12 हफ्तों के भीतर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी तक पहुंच सकता है। एक बार ब्रेन में पहुंचने के बाद इसका असर तेजी से बढ़ता है, जिससे मरीज लकवाग्रस्त हो सकता है और कोमा में जा सकता है। इसके अलावा मौत भी हो सकती है। कुछ मामलों में लक्षण दिखने में एक साल तक का समय लग सकता है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्टस की सलाह
डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्टस की सलाह है कि किसी भी जानवर के काटने की स्थिति में फर्स्ट एड के साथ-साथ तुरंत एंटी-रेबीज वैक्सीन लिया जाना जरूरी है। किसी भी तरह की देरी जानलेवा साबित हो सकती है। कुत्तों के काटने की घटनाएं केवल एक स्थानीय समस्या नहीं रह गई हैं, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। इसके प्रति जागरूकता, समय पर इलाज और सरकार द्वारा उचित नियंत्रण उपाय अपनाना आज की जरूरत है।
30 हजार से अधिक कुत्तों के नसबंदी हुई
पिछले एक साल में नगर निगम द्वारा 30 हजार से अधिक कुत्तों के नसबंदी पर ढाई करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई है। वहीं, एक सर्वे के अनुसार अहमदाबाद शहर में 2 लाख से भी अधिक आवारा कुत्ते मौजूद हैं। ऐसे में देखा जाए तो तंत्र की नसबंदी की कार्रवाई बेहद धीमी गति से आगे बढ़ती नजर आ रही है। अहमदाबाद शहर में पिछले 2 दशकों से आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी का कार्य स्वैच्छिक संस्थाओं से करवाया जा रहा है। इसके लिए एजेंसी को प्रति कुत्ता 930 रुपये का भुगतान किया जा रहा है। इसके बावजूद कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
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