Gujarat Bharuch Lok Sabha Seat (भूपेंद्र सिंह ठाकुर) : देश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक दलों के बीच सरगर्मियां बढ़ गई हैं। दक्षिण गुजरात की राजनीति में खलबली मची हुई है, क्योंकि यहां झगड़िया सीट से पूर्व विधायक छोटू वसावा द्वारा नई पार्टी बनाने पर आदिवासी क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं। आइए जानते हैं कि भरूच सीट पर छोटू वसावा किसका बिगाड़ सकते हैं खेल?
आदिवासियों के रॉबिन हुड के रूप में पहचाने जाने वाले छोटू वसावा ने एक बार फिर लोकसभा चुनाव को लेकर कमर कस ली है। 78 साल के छोटू वसावा फिर राजनीति में एक्टिव नजर आ रहे हैं। वे गुजरात की झगड़िया विधानसभा सीट से 35 साल तक विधायक रह चुके हैं। उन्होंने भारत आदिवासी सेना के नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई है। इसे लेकर छोटू वसावा का कहना है कि पार्टी में जल्द ही पदाधिकारियों का चयन किया जाएगा। माना जा रहा है कि हाल ही में छोटू वसावा के बेटे महेश वसावा ने भाजपा का दामन थाम लिया था, इसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया है।
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दादा के नाम से प्रसिद्ध हैं छोटू वसावा
आपको बता दें कि बेटे महेश वसावा के बीजेपी में शामिल होने के बाद से पिता छोटू वसावा के राजनीतिक दबदबे पर सवाल उठ रहे हैं। आदिवासियों के बीच छोटू वसावा को ‘दादा’ और महेश वसावा को ‘भाई’ के नाम से जाना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में पिता छोटू वसावा और बेटे महेश वसावा के बीच झगड़िया सीट से चुनाव लड़ने को लेकर विवाद हो गया था, जिसका फायदा आप उम्मीदवार चैतर वसावा को मिला था।
आप से चैतर वसावा भरूच से लड़ रहे चुनाव
लोकसभा चुनाव 2024 में पिता-पुत्र के बीच फिर मनमुटाव शुरू हो गया है। बेटे के बीजेपी में शामिल होने और पिता द्वारा नई पार्टी बनाने एवं चुनाव लड़ने के फैसले के बाद भरुच का चुनाव और दिलचस्प हो गया है। इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी से चैतर वसावा भरूच सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
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35 साल से भाजपा का है दबदबा
चैतर वसावा ने छोटू वसावा के साथ राजनीति की शुरुआत की थी और वे महेश वसावा के दोस्त भी थे। हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय आदिवासी पार्टी (BTP) के बीच गठबंधन टूटने के बाद चैतर वसावा आप में शामिल हो गए। ऐसे में भरूच सीट पर बीजेपी लगातार 35 साल से राज कर रही है। अब आम आदमी पार्टी वहां दांव लगाने जा रही है तो वहीं भरूच सीट से पांच बार सांसद रह चुके बीजेपी के मनसुख वसावा एक बार फिर उसी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। ऐसे में छोटू वसावा की भरूच के राजनीतिक रण में एंट्री से कौन से वसावा का खेल बिगड़ेगा और किसका पलड़ा भारी होगा, ये देखना दिलचस्प होगा।