Yasin Malik case: जेल में बंद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक की सुरक्षा में हुई चूक मामले में तिहाड़ प्रशासन ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक उपाधीक्षक और दो सहायक अधीक्षकों सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। मलिक वर्तमान में आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
बिना कोई आदेश कोर्ट पहुंच गया था यासीन मलिक
दरअसल, यासीन मलिक को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। उसे सामना खड़ा देख जज हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी आदेश नहीं दिया गया था, जिसमें यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी की आवश्यकता रही हो। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ को बताया कि यासीन मलिक जैसे उच्च जोखिम वाले दोषियों को कोर्ट में व्यक्तिगत रुप से पेशी के लिए गृह मंत्रालय ने गाइडलाइन मना रखी है। अदालत में भी अनुमति लेने की प्रक्रिया है। उन्होंने केंद्र सरकार को भी लेटर लिखा था।
Delhi | Tihar Jail administration suspends four officers in Yasin Malik case including one Deputy Superintendent, and two Assistant Superintendents: Prison officials
— ANI (@ANI) July 22, 2023
---विज्ञापन---
भाग सकता था या मारा जाता: तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले को गंभीर सुरक्षा चूक करार दिया और केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को लिखा। मेहता ने लिखा कि यह गंभीर सुरक्षा चूक है। यासीन मलिक जैसा आतंकवादी और अलगाववादी पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति, जो न केवल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी है, बल्कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध जानता है, भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था।
जेल प्रशासन ने बिठाई जांच, मांगी तीन दिन में रिपोर्ट
तुषार मेहता ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 268 के तहत मलिक के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा पारित एक आदेश का भी जिक्र किया। मेहता ने कहा कि यह आदेश जेल अधिकारियों को सुरक्षा कारणों से दोषी यासीन मलिक को जेल परिसर से बाहर लाने से रोकता है। दिल्ली जेल विभाग ने घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और अगले तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
यह भी पढ़ें: IGI Airport: विदेशी करेंसी तस्करी का सबसे बड़ा खुलासा, यात्रियों का खोला बैग तो अफसरों के उड़े होश