Shradhha Murder Case: श्रद्धा मर्डर केस में गुरुवार शाम दिल्ली के साकेत कोर्ट ने आफताब की पुलिस रिमांड पांच दिन बढ़ा दी है। सुनवाई के दौरान आफताब की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई। पुलिस ने उसकी 10 दिन की रिमांड मांगी थी। पुलिस के तर्क सुनने के बाद अदालत ने पांच दिन की रिमांड दी है।
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Shraddha murder case | Police submitted in the court that the accused Aftab is to be taken to Uttrakhand and Himachal Pradesh for investigation. The court also allowed the police application seeking permission for the Narco analysis test of accused Aftab.
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) November 17, 2022
खास बात यह है कि पुलिस को आफताब का नार्कों टेस्ट करने की अनुमति मिल गई है। जिससे अब पुलिस उन छूटे साक्ष्यों को जोड़ेगी जो अभी तक नहीं मिलें है। मसलन क्या इस वारदात के पीछे किसी ने उसकी इस पूरी योजना और हत्याकांड को अंजाम देने में मदद की? पुलिस के अनुसार अभी कई सवाल हैं जिसके जवाब आफताब से लेने हैं। आगे मामले की जांच में अगले कुछ दिन में कई नए खुलासे हो सकते हैं।
नार्को टेस्ट कैसे होता है
वकील मनीष भदौरिया के मुताबिक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 के अनुसार किसी भी अपराधी को खुद की गवाही के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। साथ ही किसी भी जांच एजेंसी द्वारा दबाव डालकर अथवा डरा-धमका कर किसी दोषी से उसके खिलाफ गवाही नहीं ली जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो कोर्ट में उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस हालत में नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग और लाई डिटेक्टर जैसी तकनीकें कारगर होती हैं। नार्को टेस्ट का इस्तेमाल सच्चाई का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसमें तकनीकों का इस्तेमाल कर आरोपी के दिमाग को संज्ञाशून्य बना दिया जाता है। साथ ही मस्तिष्क की तरंगों, पल्स रेट और ब्लड प्रेशर को रेकॉर्ड किया जाता है। जिससे सच का पर्दाफाश होता है।
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अब तक यह पता चला
इससे पहले मामले की जांच में पता चला है कि आफताब कई डेटिंग ऐप्स पर एक्टिव था और महिला मित्रों के संपर्क में था। पुलिस को आफताब के कई और महिला मित्रों के बारे में जानकारी मिली है। श्रद्धा की हत्या के बाद आफताब ने अपना पुराना मोबाइल फोन ऑनलाइन कंपनी ओएलएक्स पर बेचा था। महरौली इलाके में 18 मई को आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर दी थी। उसने श्रद्धा के शव के करीब 35 टुकड़े कर तीन सप्ताह तक 300 लीटर की क्षमता वाले फ्रिज में रखा और फिर कई दिनों में धीरे-धीरे कर उन्हें दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया।
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