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4 बेटियों को मौत देने और खुद की जान लेने को क्यों मजबूर हुआ बाप? सामने आए 5 सच

Delhi Family Suicide: एक शख्स ने अपनी 4 बेटियों के साथ सुसाइड कर लिया। उसने अपने ही हाथों से अपनी ही बेटियों को पानी में सल्फास की गोलियां मिलाकर पिला दी। 3 दिन से पांचों की लाशें सड़ रही थीं, लेकिन परिवार इतना खौफनाक कदम उठाने को क्यों मजबूर हुआ, आइए जानते हैं...

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Sep 29, 2024 09:44
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Delhi Vasant Kunj Mass Suicide
तीसरी मंजिल पर किराये के फ्लैट में रहता था सुसाइड करने वाला परिवार।

Delhi Vasant Kunj Mass Suicide Inside Story: दिल्ली के वसंत कुंज स्थित रंगपुरी गांव में एक शख्स ने अपनी 4 बेटियों को जहर खिलाकर खुद भी जहर निगलकर सुसाइड कर ली। 3 दिन पांचों शव घर में पड़े रहे। दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को बुलाया, तब मामले का खुलासा हुआ। पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन 46 वर्षीय हीरालाल शर्मा, नीतू (26), निक्की (24), नीरू (23), निधि (20) की लाशें मिलीं।

हीरालाल मूलरूप से बिहार के छपरा स्थित थाना मशरख के तहत आने वाले गोबिया गांव का रहने वाला था। एक कमरे में हीरालाल की लाश पड़ी थी। दूसरे कमरे में बेड पर चारों बेटियों के शव थे। पुलिस को मौके सल्फास की गोलियों के रैपर, मिठाई के डिब्बे मिले। घर की तलाशी लेने पर पता चला कि सुसाइड करने से पहले पांचों ने जितिया पूजा की थी। इसलिए पांचों की कलाई पर कलावा भी बंधा था और हीरालाल मिठाई भी लेकर आया था। CCTV फुटेज में वह मिठाई ले जाता दिखा।

 

दिव्यांग थी चारों बेटियां

पड़ासियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि हीरालाल की चारों बेटियां दिव्यांग थी। वे बिस्तर पर ही रहती थीं। एक को आंखों से नजर नहीं आता था। बाकी चलने फिरने में असमर्थ थीं। इस वजह से हीरालाल काफी परेशान रहता था। उसे देखकर लगता था कि वह डिप्रेशन में है। हीरालाल 30 साल से यहां रह रहा था और चारों बेटियां यहीं हुई थी। पहली बेटी दिव्यांग पैदा हुई थी, शायद बेटे की चाह में या ठीक बच्चे की चाह में 3 और बेटियां हो गईं। बदकिस्मती से वे भी दिव्यांग पैदा हुईं।

पत्नी की कैंसर से मौत

पड़ोसियों के अनुसार, हीरालाल की पत्नी सुनीता की पिछले साल कैंसर से मौत हो गई थी। जब वह थी तो दोनों मिलकर मजदूरी करके बेटियों को पाल रहे थे, लेकिन पत्नी के जाने के बाद हीरालाल अकेला पड़ गया था। वह रिजर्व रहने लगा था। किसी से बात नहीं करता था। टोकने पर जवाब नहीं देता था। 4 दिन से उसे वह दिखाई तक नहीं दिया था। उसकी हालत से पूरा वसंत कुंज वाकिफ था, लेकिन वह किसी से मदद भी नहीं लेता था।

 

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जॉब पर नहीं जा पाता था

पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि हीरालाल स्पाइनल इंजरी अस्पताल में कारपेंटर का काम करता था। वह करीब 25 हजार रुपये महीना कमाता था, लेकिन जनवरी 2024 से वह नौकरी पर नहीं जा रहा था। बेटियों को सुबह खाना खिलाकर जाता था। वे सारा दिन भूखी प्यासी रहती थीं और रात का आकर ही उन्हें खाना बनाकर खिलाता था। उनकी परेशानी देखते हुए शायद वह नौकरी पर नहीं जाता होगा। इसलिए उसे नौकरी से निकाल दिया गया होगा। ऊपर से फ्लैट का 6500 रुपये किराया भी देना होता था। नौकरी नहीं होने की वजह से भी वह परेशान होगा।

इलाज के लिए भटकता था

पड़ोसियों ने बताया कि हीरालाल ने अपनी पत्नी का भी काफी इलाज कराया, लेकिन वह उसे बचा नहीं पाया। बेटियों का इलाज कराने को भी वह दर-दर भटकता रहता था। उसे अकसर टैक्सी से बेटियों को लाते और ले जाते देखा जाता था। ओखला स्थित ईएसआई अस्पताल में वह उनका इलाज कराता था। वह चारों को गोद में उठाकर ऊपर ले जाता, नीचे लेकर आता दिखता था।

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आर्थिक तंगी से था परेशान

दक्षिण-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त रोहित मीणा के अनुसार, हीरालाल अकेला था और आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। नौकरी नहीं थी, परिवार और रिश्तेदार साथ छोड़ चुके थे। तलाशी लेने पर घर से खाने-पीने का सामान भी नहीं मिला। इसका मतलब यह है कि परिवार भूखमरी से जूझ रहा था। बर्तन भी धुले पड़े थे, मानो कई दिन से खाना न बना हो। हालातों के कारण हीरालाल और उसकी बेटियां डिप्रेशन में होंगी, इसलिए उसने मौत को गले लगाना मुनासिब समझा होगा।

 

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Written By

Khushbu Goyal

First published on: Sep 29, 2024 09:20 AM

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