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दिल्ली

कौन हैं आदित्य नारायण मिश्रा, जो AAP की टिकट पर DUTA इलेक्शन में आजमा रहे हैं किस्मत

Delhi University Teachers Association Elections: दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए आदित्य नारायण मिश्रा सिर्फ एक नाम भर नहीं हैं, बल्कि एक उम्मीद है, उम्मीद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का जीवन बेहतर बनाने की, उम्मीद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के हितों की रक्षा की। आदित्य नारायण मिश्रा 1993 से लगातर शिक्षक हितों के लिए संघर्ष […]

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Sep 25, 2023 18:12
Aditya Narayan Mishra
Aditya Narayan Mishra

Delhi University Teachers Association Elections: दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए आदित्य नारायण मिश्रा सिर्फ एक नाम भर नहीं हैं, बल्कि एक उम्मीद है, उम्मीद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का जीवन बेहतर बनाने की, उम्मीद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के हितों की रक्षा की। आदित्य नारायण मिश्रा 1993 से लगातर शिक्षक हितों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के इमारतों की एक-एक ईंट जानती है कि कैसे आदित्य ने पिछले 30 सालों में मात्र शिक्षक हितों को ही सबसे आगे रखा है। आदित्य DUTA के इतिहास में सबसे युवा प्रेसिडेंट तो रहे ही हैं, वे 3 बार डूटा के प्रेसिडेंट चुने गए और हर बार अपने को साबित किया। यही नहीं आदित्य 2 बार FEDCUTA के अध्यक्ष भी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने तब की सरकारों से लड़कर देश के शिक्षक हितों की रक्षा की। आज भी आदित्य के इन कामों का प्रभाव दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के जीवन में महसूस किया जा सकता है।

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पिछले 3 दशकों में उनके द्वारा किए गए कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं–

  • 2003 में मॉडल एक्ट के रूप में शिक्षा के निजीकरण का जो प्रारूप बिरला-अंबानी रिपोर्ट के नाम से तत्कालीन NDA सरकार द्वारा थोपा गया था, उसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन खड़ाकर उसे वापस कराने का श्रेय आदित्य के नाम दर्ज है।
  • बिना किसी भेदभाव के एक समान रिटायरमेंट उम्र (62से 65 वर्ष) भी आदित्य के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ, जिसका लाभ आज DU को ही नहीं, बल्कि देशभर के सभी सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के शिक्षक साथियों को प्राप्त है।
    छठा वेतन आयोग आज तक का सबसे अच्छा पे कमीशन है, वह आदित्य ही लाए थे।
  • उच्च शिक्षा में OBC रिजर्वेशन दिलाने और उसकी एवज में 4500 रुपए अतिरिक्त नए पदों के सृजन कराने का श्रेय आदित्य को ही जाता है।
  • अतिरिक्त पदों के अलावा DU के सभी कॉलेजों को इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रांट के रूप में 10 से 20 करोड़ रुपए भी इन्होंने ही दिलाए।
  • IAS की बेसिक सैलरी छठे वेतन आयोग में 5400 रुपए निर्धारित थी, लेकिन आदित्य के निरंतर संघर्ष से असिस्टेंट प्रोफेसर का 6000 ग्रेड पे निर्धारित हुआ।
  • एडहॉक शिक्षकों का टीचिंग एक्सपीरियंस काउंट कराना, बिना किसी बाधा के उनकी पुनर्नियुक्ति करना, पूरे वेतनमान और भत्तों वाली सैलरी और सम्मान आदित्य के प्रयासों से ही संभव हो पाया।
  • UGC रेगुलेशन 2018 AAD और DTF के संयुक्त नेतृत्व वाली DUTA के प्रयासों और संघर्षों का परिणाम था।
    4 दिसंबर 2019 को जब हजारों शिक्षकों ने अपने हितों की रक्षा के लिए VC ऑफिस का घेराव किया था, तब उस आंदोलन को संघर्ष की धार और नैतिकता का बल आदित्य ने दिया था और उसी आंदोलन की वजह से नियुक्ति और प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • स्मरण रहे कि डूटा जनरल बॉडी द्वारा अब्जॉर्प्शन (Absorption) का मुद्दा आदित्य के मुखर और अथक प्रयासों से ही पारित हो सका। इसे हूबहू लागू कराने के लिए वे आज भी पूरी तरह कटिबद्ध हैं।

आदित्य नारायण मिश्रा जी ने अपना सारा जीवन शिक्षक हितों में लगा दिया। अब अगर आगे भी कोई शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए लड़ सकता है तो वह नाम आदित्य नारायण मिश्रा का ही है। 27 सितम्बर 2023 को होने वाले डुटा चुनाव में आदित्य नारायण मिश्रा को अपना बहुमूल्य वोट और समर्थन देकर विजयी बनाएं, ताकि उच्च शिक्षा में हो रहे निजीकरण, व्यावसायीकरण तथा शिक्षकों के सर्विस कंडीशन पर हो रहे निरंतर प्रहार पर अंकुश लगाया जा सके।

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First published on: Sep 25, 2023 06:12 PM

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