Delhi Rape Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने उस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर रेप किया और उसे गर्भवती कर दिया। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से किशोरी की पहचान गुप्त रखने को कहा है। साथ ही पूछा कि क्या लड़की के साथ अन्य पुरुषों ने भी रेप किया था?
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिए ये निर्देश
जानकारी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली पुलिस से यह सुनिश्चित करने को कहा कि रेप पीड़िता की पहचान सुरक्षित रहे। पीठ ने पुलिस से पूछा कि लड़की के इस बयान पर क्या कार्रवाई की गई कि उसके साथ अन्य लोगों ने यौन उत्पीड़न किया। वहीं पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि उस पहलू की जांच की जाएगी।
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एनसीपीसीआर ने कोर्ट को दी ये जानकारी
पीठ को बताया गया है कि रेप पीड़िता की हालत अभी भी गंभीर है। उसे कल दौरे पड़े थे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने भी घटना का संज्ञान लिया है। इसमें कहा गया है कि मामले में नियमों के अनुपालन में विसंगतियां थीं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और एनसीपीसीआर से उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट मांगी है।
मां-बाप की मौत के बाद रहती थी इनके साथ
बता दें कि अक्टूबर 2020 में अपने पिता के निधन के बाद नाबालिग लड़की आरोपी के पारिवारिक मित्र के घर पर रह रही थी। इसके बाद आरोपियों ने उसके साथ हद दर्ज की हैवानियत की। प्रेमोदय की पत्नी सीमा रानी पर लड़की को गर्भपात की गोलियां देने का आरोप है। पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार किया है।
इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा
पुलिस ने पोक्सो अधिनियम और आईपीसी की धारा 376 (2) (एफ) के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया है कि मामले में आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात करना) और 120बी (आपराधिक साजिश) भी लगाई गई है। 23 अगस्त को दिल्ली की एक कोर्ट ने प्रेमोदय की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी थी। सीमा रानी को भी 14 दिन के लिए जेल भेजा गया है।