Jamia Millia Islamia Violence: दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में 15 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के संबंध में स्वतंत्र जांच और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग वाली संशोधित अर्जी का विरोध किया है।
Jamia violence matter: Delhi Police opposes amended plea for independent inquiry
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— ANI Digital (@ani_digital) December 13, 2022
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हाई कोर्ट में दाखिल दिल्ली पुलिस ने अपने जवाब में कहा कि एक जनहित याचिका किसी तीसरे पक्ष की एजेंसी द्वारा न्यायिक जांच या जांच की मांग नहीं कर सकती है। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में पुलिस से उसका जवाब मांगा था। अब मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी, 2023 को होगी।
याची दबाव बना रहा
इससे पहले इस मामले में न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने पहले कहा था कि इस मामले में कई प्रार्थनाएं निरर्थक हो गई हैं और याचिकाकर्ता मौद्रिक मुआवजे, एसआईटी के गठन आदि की संशोधित याचिका के माध्यम से केवल कुछ प्रार्थनाओं के लिए दबाव बना रहा है।
केस ट्रांसफर हुआ था
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 15 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) विश्वविद्यालय में हुई हिंसा से संबंधित याचिकाओं के एक बैच को दूसरी पीठ को स्थानांतरित कर दिया था। पीठ ने यह देखते हुए संबंधित मामलों को स्थानांतरित कर दिया कि न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ पहले से ही उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा से संबंधित याचिकाओं के एक समूह की जांच कर रही है।
जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था
इस मामले में याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस पेश हुए और केंद्र सरकार (दिल्ली पुलिस) की ओर से अधिवक्ता रजत नायर पेश हुए। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा सुप्रीम कोर्ट में यह प्रस्तुत करने के बाद कि मामला दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष वर्षों से लंबित है, दिल्ली उच्च न्यायालय से याचिका पर जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया था।