Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 साल पहले मर्डर के मामले में सुनवाई करते हुए 2 आरोपियों को बरी करने के आदेश दिए हैं। दोनों आरोपी 23 साल पहले सजा होने के बाद 2 दशक से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं। जिसके बाद अब साक्ष्यों के अभाव में दोनों को बरी किया गया है। आरोपी और पीड़िता एक साथ काम करते थे। आरोपियों के खिलाफ यह सबूत था कि उनको पीड़िता के साथ आखिरी बार देखा गया था। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा कि केवल आखिरी बार साथ देखे जाने पर ही दोषियों को कातिल साबित नहीं किया जा सकता है।
इनको दोषी ठहराना कतई उचित नहीं होगा। आरोपी और मृतका एक साथ काम करते थे। इसलिए उनका एक साथ रहना असामान्य नहीं कहा जा सकता है। मामले में उल्लेख किया गया था कि एक व्यक्ति ने आरोपियों को मृतक महिला के साथ आखिरी बार देखा था। हालांकि वह बाद में अपने बयानों से मुकर गया था। मामला 1997 में सामने आया था। जिसमें विदेशी कुमार और राम नाथ के खिलाफ मर्डर के आरोप लगे थे। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को रिहा करते हुए पुलिस जांच पर भी सवाल उठाए।
प्यार में असफल होने पर सुसाइड करने का मामला
वहीं, प्यार में असफलता मिलने पर सुसाइड करने के मामले में भी एक महिला को जमानत देने के आदेश हाई कोर्ट ने दिए थे। न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि प्रेम के मामले में असफल होने पर यदि कोई प्रेमी सुसाइड कर लेता है, तो महिला को उसे उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता। दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति के गलत फैसले के लिए किसी दूसरे को कैसे दोषी माना जा सकता है।
हाई कोर्ट ने मामले में आरोपित एक महिला और पुरुष को मामले में अग्रिम जमानत दे दी। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के पिता ने शिकायत दी थी। महिला उसके बेटे से प्यार करती थी। पुरुष दोनों को कॉमन मित्र था। आरोप है कि दोनों ने अपने बीच शारीरिक संबंध होने की बात कह युवक को मरने के लिए उकसाया था। मृतक ने सुसाइड नोट छोड़ा था। जिसमें दोनों के खिलाफ युवक ने आरोप लगाए थे।