Delhi Air Pollution Effect: दिल्ली की हवा लगातार एक्यूआई बढ़ने के कारण बेहद खराब होती जा रही है। हालात चिंताजनक होने लगे हैं। बढ़ रहा प्रदूषण लगातार लोगों को सांस लेने में दिक्कत पैदा कर रहा है। जिसके कारण अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या पहले से लगभग 20 प्रतिशत तक अधिक हो गई है। दिल्ली के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट, एम्स, डॉ. राम मनोहर लोहिया, जीटीबी, सफदरजंग और लोकनायक में मरीजों की अधिक तादाद आ रही है।
एलर्जी और कोरोना के दौरान बीमार हुए लोग भी पोस्ट कोविड की समस्याओं का हवाला देकर अस्पतालों में आ रहे हैं। फिलहाल दिल्ली में एक्यूआई का लेवल 300 को पार कर गया है। कई इलाकों में स्थिति गंभीर है। सुबह और शाम को ठंड होने के कारण प्रदूषण के कण काफी निचले स्तर पर आ चुके हैं। सांसों के साथ ही ये कण बॉडी में जा रहे हैं। जो काफी नुकसानदायक है। लोगों को सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं।
गुड़ के सेवन को फायदेमंद मानते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ सांसों के लिहाज से गुड़ को अच्छा मानते हैं। यह प्रदूषण से बचाता है। अजवाइन, ऋतु, सोंठ व हरहड़, पिपली, मधु, सेंधा नमक के गरारे भी प्रदूषण से बचने के लिए किए जा सकते हैं। प्रदूषण से मरीजों, बुजुर्गों और बच्चों को अधिक खतरा होता है। अगर कोई समस्या आए, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत होती है। वहीं, जिन लोगों को तकलीफ हो, वो जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलें। योगासन बाहर करने के बजाय घर में ही करें। सर्दी के कारण लगातार तापमान गिर रहा है।
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ये प्राणायम कर खुद को बचाएं प्रदूषण से
1 विशेषज्ञों ने कुछ व्यायाम और प्राणायम करने की सलाह दी है। जिससे फायदा लिया जा सकता है। सबसे पहले बताते हैं अनुलोम-विलोम के बारे में। इस प्रक्रिया में सांस लेकर लंग्स को मजबूत किया जाता है। इस प्राणायाम में नाक के राइट साइड से सांसें खींचते हैं। लेफ्ट साइड से सांस को बाहर छोड़ा जाता है।
2 इसके बाद प्राणायाम आता है, जिसे योग के 8 अंगों में माना जाता है। नियम, आसन, यम, प्राणायाम, धारणा, ध्यान, समाधि और प्रत्याहार इसमें शामिल हैं। एक जगह बैठकर प्राणायाम किया जाता है। शांति के साथ गहरी सांस लेनी और फिर धीमी गति से सांस छोड़नी होती है।
3 सूर्य नमस्कार भी सुबह के समय किया जा सकता है। लेकिन इसे खाली पेट करना होता है। यह 12 जबरदस्त योगासनों का तालमेल होता है। लेकिन इसे किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करना सही होता है। प्रत्येक सूर्य नमस्कार में 12 आसन दो बार में किए जाते हैं।