दिल्ली में त्योहारों की तैयारियां अपने अंतिम दौर में हैं। एक तरफ लोग त्योहारों को यादगार बनाने के लिए खरीदारी में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर बाजार में मुनाफखोर सक्रिय हो गए हैं। लोगों की खुशियों को बीमारी में बदलने के लिए बाजार में मिलावटी पदार्थ उतर आए हैं। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने मिलावटी घी बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार करके 1625 किलो मिलावटी देशी घी बरामद किया है।
त्योहारी सीजन के मद्देनजर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच सेंट्रल रेंज ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में छापेमारी की। तब इन मिलावटी देसी घी बनाने वाले 3 अवैध कारखानों का पर्दाफाश हुआ। खुफिया सूचना मिलने पर पुलिस ने शिव विहार, करावल नगर और मुस्तफाबाद में एक साथ छापेमारी की गई। कार्रवाई के दौरान 1,625 किलोग्राम मिलावटी घी बरामद हुआ और 6 आरोपित पकड़े गए। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बताया कि इस केमिकल युक्त घी के खाने से कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने 105 टीन डिब्बे बरामद किया गया है। इसमें छापेमारी में 1,625 किलो मिलावटी देसी घी बरामद किया है। इसके अलावा रसायन एवं मिलावट हेतु उपयोगी दवाइयां भी जब्त की है। पकड़े गए आरोपियों के नाम सफीक, यूसुफ मलिक, मेहबूब, शाकिर, शाहरूख, जमालुद्दीन है।
कैसे बनाते थे नकली घी?
पुलिस जांच में पता चला कि आरोपित डालडा (वनस्पति घी) और सस्ता रिफाइंड तेल थोक में खरीदते थे। इन्हें गर्म करके आपस में मिलाते और खुशबू, रंग व स्वाद के लिए रासायनिक पदार्थ डालते है। पैकिंग असली ब्रांड जैसी करके दुकानों, डेयरियों और सप्लायर्स को बेचते हैं। त्योहारों के सीजन में नकली घी की मांग बढ़ने पर धंधा चरम पर होता है।
कैसे कमाते थे मुनाफा?
बताया जा रहा है कि एक टीन नकली घी की उत्पादन लागत 1,300 से 1,400 रुपये की होती है। इसका बिक्री मूल्य 3,500 से 4,000 प्रति टीन होती है। जनता को स्वास्थ्य जोखिम में डालकर मोटा मुनाफा कमा रहे थे।