पिछले दिनों भारतीय सैनिकों द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच हुई लड़ाई ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। हर किसी को यह लग रहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई काफी लंबी चलेगी। लेकिन कुछ दिन बाद ही दोनों के बीच सीजफायर का ऐलान हो गया। अब इस सीजफायर को लेकर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने केंद्र की मोदी सरकार पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर ऐसा कौन-सा दबाव था जिसके चलते आतंकवाद के जख्म झेल रहे भारत को अमेरिका की बात मानने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत ने क्यों स्वीकार किया सीजफायर?
अनुराग ढांडा ने कहा कि यह फैसला देश के लिए चौंकाने वाला है कि जब भारतीय सेना नियंत्रण रेखा पर पूरी ताकत से जवाब दे रही थी और पाकिस्तान बैकफुट पर था। इसके अलावा भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत थी। उस समय केंद्र सरकार ने अचानक सीजफायर क्यों स्वीकार किया? क्या यह अमेरिकी दबाव था? क्या डोनाल्ड ट्रम्प ने व्यापारिक संबंधों को लेकर कोई धमकी दी थी?
क्यों हो रहा है सीजफायर का उल्लंघन?
उन्होंने कहा कि पहलगाम में हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ने वाले आतंकवादियों को अब तक मौत के घाट क्यों नहीं उतारा गया? पुंछ में शहीद हुए जवानों को न्याय कब मिलेगा? यह कैसी मोदी सरकार है, जो सीजफायर की अपील पाकिस्तान से नहीं, बल्कि अमेरिका से सुन रही है? इसके अलावा ढांडा ने यह भी पूछा कि अगर पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई न करने का कोई भरोसा दिया था, तो फिर अब बार-बार सीजफायर का उल्लंघन क्यों हो रहा है? क्या इंदिरा गांधी की तरह मोदी सरकार भी कोई लिखित समझौता नहीं करा सकी?
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उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि वे संसद का विशेष सत्र बुलाएं और पाकिस्तान को आधिकारिक रूप से आतंकवादी देश घोषित करें। देश की सेना को पीछे हटाने के बजाय मजबूत राजनीतिक समर्थन मिलना चाहिए, न कि विदेशी दबाव में रणनीति बदल दी जाए।
इन नीतियों का विरोध करेगी आप
अनुराग ढांडा ने कहा कि आम आदमी पार्टी हर उस नीति का विरोध करेगी जो भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और सेना के मनोबल के खिलाफ हो। जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव और सैन्य पराक्रम के चलते बैकफुट पर था, तब भारत को दृढ़ता से अपनी शर्तों पर बात करनी चाहिए थी। पाकिस्तान को सबक सिखाने का यह सबसे उपयुक्त समय था, लेकिन मोदी सरकार ने एक बार फिर विदेशी दबाव को देशहित से ऊपर रख दिया।