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Nalanda News: बिहार में खुदाई में निकली प्राचीन दीवार; क्या खुलेंगे इतिहास के नए रहस्य?

Nalanda News: बिहार के नालंदा जिले के गोरमा गांव में एक पोखर की खुदाई के दौरान प्राचीन दीवार मिली है। इसको लेकर उम्मीद जताई जा रहा है, इससे इतिहास से जुड़े नए रहस्यों का खुलासा हो सकता है।

Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Mar 9, 2025 13:19
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राजकुमार मिश्रा

Nalanda News: बिहार का नालंदा जिला एक बार फिर से सुर्खियों में है। दरअसल, नालंदा के गोरमा गांव में एक ऐतिहासिक खोज ने सबका ध्यान नालंदा की तरफ आकर्षित किया है। नालंदा जिले के सिलाव प्रखंड में स्थित गोरमा पांकी पंचायत के गोरमा गांव में एक पोखर की खुदाई के दौरान प्राचीन दीवार मिली है। इससे नालंदा के इतिहास से जुड़े नए रहस्यों का खुलासा होने की संभावना बढ़ गई है। यह प्राचीन दीवार गांव में पश्चिमी दिशा में स्थित 22 बिघा में फैले पोखर में मिली है।

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दोपहर में मिली थी दीवार

गोरमा पांकी पंचायत के गोरमा गांव में शनिवार को पोखर की खुदाई का काम चल रहा था। खुदाई के दौरान दोपहर में मजदूरों को जमीन के अंदर एक मजबूत और संरचनात्मक दीवार दिखाई दी। जैसे ही इस प्राचीन दीवार के मिलने की खबर सामने आई, पूरे गांव में उत्सुकता बढ़ गई और देखते ही देखते मौके पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। ग्रामीणों ने तत्काल खुदाई का कार्य रुकवा दिया और खुद से इस प्राचीन दीवार को निकालने का काम शुरू कर दिया।

पहले मिल चुकी हैं भगवान बुद्ध की खंडित मूर्तियां

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस पोखर से पहले भी कई बार भगवान बुद्ध की खंडित मूर्तियां मिल चुकी हैं। खास बात यह है कि खुदाई के दौरान मिली ईंटें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में प्रयुक्त ईंटों से मिलती-जुलती हैं। यह खोज इस संभावना को बल देती है कि यह स्थान भी प्राचीन काल में किसी महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल या शिक्षण संस्थान का हिस्सा हो सकता है। ग्रामीणों के अनुसार, दीवार करीब 10 फीट नीचे मिली है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह किसी प्राचीन मंदिर, कुआं या किसी महत्वपूर्ण संरचना का अवशेष हो सकता है।

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नालंदा विश्वविद्यालय से कितनी दूर है ये प्राचीन दीवार

गांव के लोगों का यह भी कहना है कि जेसीबी मशीन के उपयोग से दीवार के कई महत्वपूर्ण हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हालांकि, अब भी इसका एक हिस्सा सुरक्षित बचा हुआ है, जिससे पुरातत्वविदों के लिए यह महत्वपूर्ण प्रमाण बन सकता है। गोरमा गांव प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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वैज्ञानिक खुदाई की मांग

यहां के बुजुर्गों के अनुसार, अमामा स्टेट की रानी इस पोखर से पानी मंगवाती थीं और इसे पीने के लिए इस्तेमाल करती थीं, क्योंकि इसका पानी मीठा हुआ करता था। गांव के लोगों का मानना है कि इस पोखर में मिली प्राचीन दीवार किसी ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हो सकती है, जिसकी विस्तृत खुदाई से महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य सामने आ सकते हैं। इस खोज से गोरमा गांव के इतिहास को एक नई पहचान मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। अगर इसकी वैज्ञानिक खुदाई कराई जाए, तो यह स्थान एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल के रूप में उभर सकता है।

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Edited By

Pooja Mishra

First published on: Mar 09, 2025 12:28 PM

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