Bihar Politics: बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इस बीच सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। निशांत कुमार के राजनीति में आने को लेकर पिछले काफी समय से बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा जारी है। सीएम आवास स्थित होली मिलन समारोह में उनकी सक्रिय भागीदारी के बाद से ही इन चर्चाओं को और ज्यादा बल मिला है।
होली समारोह में पिता के साथ आए नजर
शनिवार को निशांत कुमार पिता सीएम नीतीश कुमार के साथ होली मिलन समारोह में नजर आए। उन्होंने इस दौरान जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं से काफी समय तक बातचीत भी की। इससे पहले उन्हें इतना सक्रिय कभी नहीं देखा गया। इन अटकलों को तब बल ज्यादा मिला जब पटना स्थित जेडीयू कार्यालय के बाहर निशांत के पार्टी में स्वागत के पोस्टर लगाए गए। जिस पर लिखा था ‘बिहार की मांग सुन लिए निशांत बहुत-बहुत धन्यवाद’।
जेडीयू कार्यकर्ताओं ने किया ये दावा
जेडीयू कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि निशांत ने राजनीति में उतरने की इच्छा जताई है। रिपोर्ट की मानें तो होली पर पार्टी के नेताओं के साथ बातचीत के दौरान निशांत कुमार ने राजनीति में उतरने को लेकर अपनी सहमति दे दी है। अब इस पर अंतिम फैसला सीएम और पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार को करना है। इधर निशांत के राजनीति में उतरने को लेकर आरजेडी नेता और लालू के बेटे तेजस्वी यादव लगातार बयान दे रहे हैं।
तेजस्वी ने फिर दिया बयान
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि जेडीयू के भीतर कुछ नेता आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित हैं। वे निशांत को राजनीति में आने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि निशांत के राजनीति में आने से जेडीयू अपनी पुरानी ताकत फिर से हासिल कर सकती है। जोकि बीजेपी और अन्य दलों को पसंद नहीं आए। तेजस्वी ने कहा कि निशांत हो या कोई और राजनीति में आना या न आना किसी का व्यक्तिगत फैसला हो सकता है। मेरे माता-पिता ने मुझे कभी राजनीति में आने के लिए नहीं कहा। मैंने पार्टी कार्यकर्ताओं और बिहार के लोगों की भावनाओं के आधार पर फैसला किया।
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परिवारवाद को काउंटर करने के लिए दे रहे बयान
बिहार की राजनीति को वर्षों से कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अकु श्रीवास्तव ने बताया कि तेजस्वी यादव बार-बार निशांत कुमार पर बयान देकर उन पर दबाव बना रहे हैं। ताकि वे पाॅलिटिक्स जाॅइन करें। ताकि सीएम के परिवारवाद के हमले को आसानी से काउंटर किया जा सके। हर बाप की तरह सीएम नीतीश भी चाहते हैं कि वे सक्रिय पाॅलिटिक्स में आएं। इसको लेकर उनकी बीजेपी से सहमति भी बन चुकी है लेकिन माध्यम क्या होगा? यह एक बड़ा सवाल है।
नीतीश-बीजेपी में बन चुकी सहमति
अकु श्रीवास्तव ने कहा कि अगर वे विधानसभा से चुनकर आते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि कोई कुर्मी बाहुल्य सीट मिले। अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें विधान परिषद के जरिए सक्रिय राजनीति में लाया जा सकता है। हालांकि वे मंत्री बनेंगे या पार्टी में कोई पद संभालेंगे ऐसी संभावना कम है। ऐसा स्वयं नीतीश कुमार भी नहीं चाहते हैं। जहां तक नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी याद की बात है वे इसे मुद्दे को छेड़कर उनके खिलाफ लग रहे परिवारवाद के आरोपों की धार को कुंद करना चाहते हैं।
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