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डिप्टी CM की कौन सी पावर कैबिनेट मंत्री के पास नहीं? संविधान में जिक्र न होने के बाद भी चर्चा में क्यों ये पद

Bihar Deputy CM powers vs cabinet minister: बिहार में हुई विधायक दल की बैठक में फिर से दो उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा बनाए गए हैं. सवाल यह है कि संविधान में जिक्र न होने के बाद कैबिनेट मंत्रियों से कितना अलग है डिप्टी CM का पद? मौजूदा समय में 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में डिप्टी सीएम हैं, जानें इस पोस्ट की ताकत?

Author Written By: News24 हिंदी Updated: Nov 19, 2025 20:36
Bihar Deputy CM powers vs cabinet minister

Bihar Deputy CM powers vs cabinet minister: भारत के 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में डिप्टी सीएम हैं. डिप्टी सीएम किसी भी राज्य सरकार में मुख्यमंत्री के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली पद होता है, हालांकि यह एक संवैधानिक पद नहीं है, फिर भी इस पद पर नियुक्ति गठबंधन सरकार में राजनीतिक स्थिरता और मजबूती लाने के लिए की जाती है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसले में स्पष्ट कर चुका है कि डिप्टी सीएम केवल एक मंत्री ही होता है. असली ताकत पद में नहीं, पोर्टफोलियो पर निर्भर करती है. अगर डिप्टी CM को गृह/वित्त जैसे बड़े विभाग मिलें तो ज्यादा प्रभावी लगता है.

बिहार में भाजपा विधायक दल की बैठक में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को फिर से डिप्टी सीएम चुन लिया गया. अब सोचने वाली बात यह है कि संविधान में इस पद का कहीं जिक्र नहीं है, फिर भी यह पद इतना अधिक चलन में क्यों हैं. इसके पीछे के राजनीतिक गणित को समझने की कोशिश करते हैं.

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डिप्टी सीएम और कैबिनेट मंत्री में क्या अंतर

संवैधानिक दर्जे की बात की जाए तो अनुच्छेद 164 के तहत कैबिनेट मंत्री मंत्रीपरिषद का हिस्सा होते हैं, जबकि डिप्टी सीएम का संविधान में कोई उल्लेख नहीं. शपथ प्रक्रिया दोनों पदों में कैबिनेट मंत्री के तौर पर ही ली जाती है, जबकि डिप्टी सीएम पद बाद में जोड़ दिया जाता है. मुख्यमंत्री की तरह इस पद की अलग से शपथ नहीं होती. डिप्टी सीएम को वेतन और भत्ते कैबिनेट मंत्री के बराबर ही मिलते हैं.

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डिप्टी सीएम के पास कोई अतिरिक्त पावर नहीं होती. हालांकि डिप्टी सीएम मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता कर सकते हैं, जबकि कैबिनेट मंत्री की ताकत पोर्टफोलियो पर निर्भर करती है और वो कैबिनेट मंत्री की अध्यक्षता नहीं कर सकते. प्रोटोकॉल रैंक के हिसाब से सभी कैबिनेट मंत्री बराबर होते, जबकि डिप्टी सीएम का ओहदा सभी कैबिनेट मंत्रियों के ऊपर होता है. संख्या की बात की जाए तो राज्य में कितने भी डिप्टी सीएम रखे जा सकते हैं, जबकि 91वें संशोधन के तहत केवल कैबिनेट मंत्री 15 फीसदी रखे जा सकते हैं.

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डिप्टी सीएम बनाने के पीछे के गणित को समझें

देश के जिन-जिन राज्यों में जहां डिप्टी सीएम बनाए गए हैं, वहां या तो गठबंधन की सरकार है या फिर एक पार्टी का बहुमत होने के बाद भी अलग अलग वर्गों के बीच राजनैतिक प्रतिनिधित्व का संतुलन बैठाने का प्रयास हो. बिहार से पहले महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बहुमत हासिल करने के बाद भी डिप्टी सीएम बनाए. मुख्यमंत्री के बाद नंबर दो की पोजीशन का पार्टी में महत्व बढ़ गया है.

राजनीतिक तौर पर उपमुख्यमंत्री का पद दूसरे दल को दिया जाता है. इस पद का सबसे बड़ा फायदा यही है कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में सरकार को स्थिरता मिलती है. बिहार में जहां जेडीयू के नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे, वहीं भाजपा के सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया है.

किन 16 राज्यों और एक केंद्र शासित राज्यों में डिप्टी सीएम?

16 राज्यों में बिहार के अलावा आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, तामिलनाडू, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश, वहीं केंद्र शासित प्रदेश में जम्मू-कश्मीर शामिल हैं, जहां डिप्टी सीएम बनाए गए हैं.

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First published on: Nov 19, 2025 07:12 PM

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