Anand Mohan Released: बिहार के सहरसा जेल से गुरुवार सुबह बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की रिहाई हो गई। आईएएस अफसर जी कृष्णैया की पत्नी और बेटी ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है। कृष्णैया की पत्नी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने मांग की है कि आनंद मोहन को वापस जेल भेजा जाए। बता दें कि 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
हाल ही में बिहार सरकार की ओर से जेल नियमों में संशोधन के बाद आनंद मोहन सिंह समेत 27 दोषियों को रिहा किया गया है। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर विवाद पैदा हो गया है। इस कड़ी में गुरुवार को न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा कि मैं राष्ट्रपति और पीएम से इस मामले में हस्तक्षेप करने और सीएम नीतीश कुमार से उन्हें (आनंद मोहन) वापस जेल भेजने की अपील करती हूं।
Hyderabad | Public will protest against the release of Anand Mohan, demanding to send him back to jail. Releasing him is a wrong decision. CM should not encourage these types of things. If he (Anand Mohan) will contest elections in the future the public should boycott him. I… pic.twitter.com/NPEBQkFSca
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) April 27, 2023
उमा देवी ने कहा कि हत्या के दोषी को रिहा करने का बिहार सरकार का फैसला गलत है। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को पहले निचली अदालत ने मौत की सजा दी थी और बाद में पटना उच्च न्यायालय ने उम्रकैद में बदल दिया था और अब नीतीश कुमार की सरकार ने उसे रिहा कर दिया है। मुख्यमंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए। वे इस प्रकार की चीजों को प्रोत्साहित न करें।
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उमा देवी ने कहा कि आनंद मोहन सिंह अगर भविष्य में चुनाव लड़ते हैं तो मैं जनता से उसका बहिष्कार करने की अपील करती हूं। उन्होंने कहा कि जनता मेरे साथ आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करेगी, उसे वापस जेल भेजने की मांग करेगी।
आईएएस अफसर की बेटी ने पुनर्विचार करने की मांग की
दिवंगत आईएएस अधिकारी की बेटी पद्मा ने बिहार सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। पद्मा ने कहा कि ये हमारे लिए निराशाजनक है कि आनंद मोहन सिंह आज जेल से रिहा हो गए हैं। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। मैं नीतीश कुमार से अनुरोध करती हूं कि इस फैसले पर दोबारा विचार करें। इस फैसले से उनकी सरकार ने एक गलत मिसाल पेश की है। पद्मा ने कहा कि परिवार सरकार के फैसले के खिलाफ अपील करेगा।
आनंद मोहन के समर्थकों ने रिहाई का किया स्वागत
आनंद मोहन सिंह के समर्थकों ने बिहार की सहरसा जेल से उनकी रिहाई का स्वागत किया है। गैंगस्टर से नेता बना आनंद मोहन पहले अपने विधायक बेटे चेतन आनंद की सगाई समारोह में शामिल होने के लिए 15 दिनों की पैरोल पर था। पैरोल की अवधि पूरी होने के बाद वह 26 अप्रैल को सहरसा जेल लौटा था। इससे पहले बुधवार को राज्य के कारागार विभाग ने राज्य की विभिन्न जेलों से करीब 14 दोषियों को रिहा किया था।
आनंद मोहन सिंह उन आठ अन्य लोगों में शामिल था जिन्हें बुधवार को रिहा नहीं किया जा सका था। पूर्व सांसद को जेल से रिहा किए जाने को लेकर राज्य में विपक्ष की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया हुई है। 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन सिंह द्वारा कथित रूप से उकसाई गई भीड़ ने गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या कर दी थी।उन्हें उनकी सरकारी गाड़ी से बाहर खींच लिया गया था और पीट-पीट कर मार डाला गया था।
1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या वर्तमान तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे। आनंद मोहन को निचली अदालत ने 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। एक साल बाद पटना उच्च न्यायालय ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। मोहन ने तब फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली और वह 2007 से सहरसा जेल में था। उसकी पत्नी लवली आनंद लोकसभा सांसद हैं, जबकि बेटा चेतन आनंद बिहार के शिवहर से राजद के विधायक हैं।