AIMIM Bihar Election 2025: बिहार चुनाव को लेकर राजनीतिक रस्साकशी तेज हो गई है। सभी पार्टियां चुनाव को लेकर खास तैयारियों में जुटी हैं। जहां एक ओर एनडीए में शामिल नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू एक बार फिर सरकार बनाने का दावा कर रही है तो दूसरी ओर आरजेडी बदलाव लाने की बात कर रही है। बिहार की राजनीति में एंट्री लेने वाले प्रशांत किशोर भी पूरा दमखम दिखाने में जुटे हैं। उनकी पार्टी जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में इस बार का बिहार चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है।
अब बात करते हैं दूसरी पार्टियों की, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में कई नेताओं का खेल बिगाड़ दिया था। इनमें में से एक है असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी। पिछली बार ये पार्टी बड़ी वोट कटवा साबित हुई थी। पार्टी ने पिछली बार 5 सीटों पर कब्जा जमाया था। ओवैसी की पार्टी ने 18 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 14 अकेले सीमांचल के इलाके में थे।
AIMIM ने खुद 5 सीट जीतीं और 13 सीटों पर आरजेडी को तगड़ा झटका दिया था। वह वोट कटवा साबित हुई थी। ओवैसी की पार्टी ने बहादुरगंज, अमौर, कोचाधमान, बैसी और जोकीहाट सीट पर शानदार जीत हासिल की थी। जोकीहाट में भाई-भाई के मुकाबले में भी AIMIM ने बाजी मार ली थी। ऐसे में इस बार भी ओवैसी की पार्टी को एक बड़ा खतरा माना जा रहा है।
इस बार क्या है तैयारी?
बिहार में एक रैली में ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ का नारा लगाकर चर्चा में आए ओवैसी ने इस बार 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई है। AIMIM का फोकस मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर है। जिसमें सीमांचल के तहत आने वाले जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार शामिल हैं। इसके अलावा मगध और मिथिलांचल पर भी पार्टी की खास नजर है।
“पाकिस्तान मुर्दाबाद, भारत ज़िंदाबाद”
~असदुद्दीन ओवैसी साहब pic.twitter.com/uXOCMw92DW
— Sadaf Afreen صدف (@s_afreen7) May 7, 2025
दो सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान
इस बार कांग्रेस के पूर्व बाहुबली विधायक तौसीफ आलम भी AIMIM में शामिल हो गए हैं। उन्हें बहादुरगंज से टिकट देने का ऐलान कर दिया है। वह 4 बार के विधायक रह चुके हैं। हालांकि उनके पार्टी में शामिल होते ही बगावत शुरू हो गई थी और एक साथ कई नेताओं ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया था। इसी के साथ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोतिहारी के ढाका में भी विधानसभा उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है। वह राणा रंजीत सिंह के नाम का ऐलान कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि जल्द ही कई और बड़े नेताओं को भी मैदान में उतारा जा सकता है।
महागठबंधन में शामिल होने की चर्चा
इस साल के अंत में होने वाले चुनावों में एआईएमआईएम के राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों वाले महागठबंधन के साथ गठबंधन करने की चर्चा है। इसके साथ ही पार्टी सीमांचल से आगे विस्तार करने का संकेत दे रही है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हसन का कहना है कि अगर कांग्रेस तेलंगाना के एमएलसी चुनावों में हमारा समर्थन कर सकती है, तो बिहार में क्यों नहीं? हालांकि AIMIM लोकसभा चुनाव के दौरान आरजेडी के विरोध के कारण महागठबंधन में शामिल नहीं हो सकी थी।
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आदिल का कहना है कि अगर महागठबंधन विकासशील इंसान पार्टी को वापस ले सकता है, जो 2020 में एनडीए के साथ थी, तो एआईएमआईएम क्यों नहीं शामिल हो सकती। एआईएमआईएम की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि उन्होंने सांसदों और विधायकों के माध्यम से गठबंधन की इच्छा व्यक्त की है।
किसे फायदा, किसने नुकसान?
अब सवाल ये कि अगर ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने से किसे फायदा और नुकसान हो सकता है। अगर यह महागठबंधन का हिस्सा बनती है तो एनडीए को सीधा नुकसान होना तय है। जिसने पिछली बार 125 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं थीं। महागठबंधन में AIMIM के शामिल होने से गठबंधन को मजबूती मिलेगी, लेकिन अगर पार्टी अकेले लड़ती है तो आरजेडी के लिए बड़ा झटका दे सकती है। बहरहाल, ये देखना होगा कि पार्टी कितनी सीटों पर कौनसे उम्मीदवार उतारती है। पार्टी की रणनीति देखने लायक होगी।
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बता दें कि AIMIM के 5 में से 4 विधायक बाद में RJD में शामिल हो गए थे। इनमें जोकीहाट के शाहनबाज आलम, कोचाधामन के मुहम्मद इजहार अस्फी, बहादुरगंज के अंजार नइमी और बायसी के रुकनुद्दीन अहमद का नाम शामिल है। हालांकि एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ओवैसी के ही साथ हैं। बिहार में वह AIMIM के इकलौते विधायक हैं। अगर पार्टी पिछली बार से ज्यादा सीटों पर लड़ती है तो एनडीए को नफा और महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। बिहार में करीब 17 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। जिसे आरजेडी के बड़े वोटबैंक के रूप में देखा जाता है।