---विज्ञापन---

गर्भस्थ शिशु की सेहत बिगाड़ रहा दूषित पर्यावरण

Science News: डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषित पर्यावरण के कारण अजन्मे बच्चों को अपनी जान गवानी पड़ रही है। 9 मई, 2023 को ‘बोर्न टू सून, डिकेड ऑफ एक्शन ऑन प्रीटर्म बर्थ’ नाम से जारी की गई संयुक्त रिपार्ट में साल 2020 में करीब डेढ़ करोड बच्चे अपरिपक्व पैदा हुए थे। हर […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: May 24, 2023 14:51
Share :
Science news, science news hindi, health news, pregnant baby health, WHO

Science News: डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषित पर्यावरण के कारण अजन्मे बच्चों को अपनी जान गवानी पड़ रही है। 9 मई, 2023 को ‘बोर्न टू सून, डिकेड ऑफ एक्शन ऑन प्रीटर्म बर्थ’ नाम से जारी की गई संयुक्त रिपार्ट में साल 2020 में करीब डेढ़ करोड बच्चे अपरिपक्व पैदा हुए थे। हर दस में से एक बच्चा प्रीमैच्योर डिलीवरी से पैदा हुआ। दक्षिण एशिया में यह अनुपात सबसे अधिक है। भारत दक्षिण एशिया का देश है।

प्रदूषित वातावरण के साथ ये कारक भी हैं जिम्मेदार

प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले में भारत दुनिया के टॉप देशों में शामिल है। साल 2020 में भारत में 13 फीसदी बच्चे प्रीमैच्योर पैदा हुए, संख्या के मामले में यह आंकड़ा 30 लाख से अधिक होगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रीमैच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा कारण प्रदूषित पर्यावरण, संतुलित भोजन का अभाव, हीट स्ट्रोक है। भारत में अपरिपक्व बच्चों के जन्म का सबसे बड़ा कारण (Science News) अत्यधिक गर्मी को बताया गया है। गर्मी के कारण 16 फीसदी बच्चे अपरिपक्व जन्में। पैदा हुए इन बच्चों में कुछ ऐसे भी थे, जिनका वजन 500 ग्राम से कम था। स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए 37 से 42 सप्ताह का समय लगता है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले में 28 सप्ताह से कम के भी शिशुओं ने जन्म लिया है। दक्षिण एशिया में बांग्लादेश के हालात और भी खराब हैं। वहां यह आंकड़ा 16 फीसदी से अधिक है।

यह भी पढ़ें: आपको मच्छर क्यों काटते हैं? वैज्ञानिकों ने रिसर्च में ढूंढा इसका सीक्रेट

रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू वायु प्रदूषण भी गर्भस्थ शिशु के कम वजन और प्रीमैच्योर डिलीवरी के लिए जिम्मेदार है। ‘इन हाउस पाल्यूशन’ के कारण दुनियाभर में 15.2 फीसदी बच्चे कम वजन के पैदा हुए और करीब 35 फीसदी बच्चे समय से पूर्व पैदा हुए। दूषित पर्यावरण माता के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है। अपरिपक्व पैदा होने वाले बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास सामान्य नहीं हो पाता है। ऐसे बच्चों को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। इस रिपोर्ट में देशों की सरकारों के लिए एक कार्ययोजना भी प्रस्तुत की गई है, जिससे प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामलों में सुधार किया जा सके।

– डॉ. आशीष कुमार (लेखक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

First published on: May 24, 2023 02:46 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें