Vaikuntha Chaturdashi, Manikarnika Ghat Snan 2025: पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि को वैकुंठ चतुर्दशी होती है. वैकुंठ चतुर्दशी पर पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से वैकुंठ में स्थान मिलता है. बता दें कि, बैकुंठ स्थान भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी का निवास स्थान है, इस स्थान को विष्णुलोक भी कहा जाता है. जन्म के बाद यहां आने पर आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वैकुंठ चतुर्दशी के दिन मणिकर्णिका स्नान होता है. इस दिन मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने का महत्व होता है.
मणिकर्णिका घाट स्नान
4 नवंबर 2025 को वैकुंठ चतुर्दशी और मणिकर्णिका घाट स्नान है. इस खास दिन पर भगवान शिव की नगरी काशी बनारस में मणिकर्णिका घाट पर स्नान किया जाता है. मणिकर्णिका घाट पर स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि, मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसका अर्थ है कि, जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. मणिकर्णिका घाट का खास महत्व है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
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मणिकर्णिका घाट का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मणिकर्णिका घाट पर भगवान शिव और माता पार्वती ने ध्यान किया था. यहां पर भगवान विष्णु के पद चिन्ह भी मौजूद हैं. इस घाट पर स्नान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. बता दें कि, मणिकर्णिका घाट अंतिम संस्कार के लिए प्रसिद्ध है. मणिकर्णिका घाट 24 घंटे खुला रहता है. इस घाट पर हमेशा चिताएं जलती रहती हैं. मणिकर्णिका श्मशान घाट व्यस्त घाटों में से एक बनाता है.
क्यों कहते हैं मोक्षदायिनी घाट?
मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी वजह से मणिकर्णिका घाट को मोक्षदायिनी घाट भी कहा जाता है. यहां जाने से लोगों को मानसिक शांति का अहसास होता है और भगवान का आशीर्वाद मिलता है.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.










