Som Pradosh Vrat: द्रिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत हर चंद्र मास में दो बार किया जाता है। एक बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरी बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को। जब प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, तब इसे ‘सोम प्रदोष व्रत’ कहते हैं। आपको बता दें कि ‘प्रदोष’ शब्द सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आगमन से पहले के समय को दर्शाता है, जिसे भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ काल माना जाता है।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है और यह चंद्रमा का दिन भी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक शांति के नियंत्रक ग्रह हैं। वहीं, भगवान शिव अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करते हैं, जो यह दर्शाता है कि भगवान शिव चंद्रमा के सभी दोषों और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सक्षम हैं।
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कब है आषाढ़ सोम प्रदोष व्रत?
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 23 जून को रात 1:21 AM बजे से होगी और इसका समापन 23 जून को रात 10:09 PM बजे होगा। इस प्रकार यह प्रदोष व्रत सोमवार 23 जून मनाया जाएगा।
ये पूजा का शुभ मुहूर्त
सोम प्रदोष के दिन प्रातः स्नान करके शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, जल और कच्चा दूध चढ़ाने की परंपरा है। वहीं सारा दिन व्रत रखकर इस तिथि की शाम में विधि-विधान से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सोम प्रदोष की पूजा से हर मनोकामना पूर्ति होती है, विशेषकर नौकरी, विवाह या संतान से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 23 जून, 2025 को सोम कृष्ण प्रदोष व्रत का पूजा के लिए श्रेष्ठ और शुभ मुहूर्त इस समय है:
23 जून को प्रदोष पूजा मुहूर्त: 07:22 PM से 09:23 पी PM (अवधि 02 घंटे 01 मिनट)
करें ये खास उपाय
माना जाता है कि सोम प्रदोष के दिन व्रत रखने और पूजा करने से शिव कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। आइए जानते हैं, 23 जून 2025 को सोम प्रदोष व्रत के दिन किन खास उपायों से भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं?
भगवान शिव को मनोकामना लिखकर अर्पित करें
सोम प्रदोष व्रत के दिन आक यानी मदार के पत्ते पर केसर या कुमकुम से अपनी इच्छा लिखें, जैसे ‘मुझे नौकरी मिल जाए’ और उसे इसे शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके साथ ही ‘ॐ शिवाय स्वाहा’ मंत्र का 21 बार जाप करें। पत्ते को प्रदोष काल समाप्त होने के बाद किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। मान्यता है कि 41 दिनों के भीतर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
अघोरी विधि से शिव को चढ़ाएं धतूरा
जीवन की कठिन समस्याओं के समाधान के लिए धतूरे के फूल और फल लें। इन्हें भांग के पत्तों में लपेटकर शिवलिंग पर चढ़ाएं और ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। इससे जीवन की गंभीर समस्याएं, जैसे लंबी बीमारी, कोर्ट केस, दुर्घटना का भय दूर होता है।
मध्यरात्रि में करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ
जीवन में सर्वोच्च सिद्धि के लिए सोम प्रदोष की
रात में निशीत काल में 12:00 बजे से 12:30 के बीच एकांत में बैठकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। मंत्र पढ़ते समय हाथ में जल लेकर बैठें और पाठ पूरा होने पर वह जल शिवलिंग पर चढ़ा दें। कहते है, इस उपाय से कोई असंभव कामना हो, तो वह पूरी होती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।