Ramadan 2025: 2 मार्च (रविवार) से रमजान का पहला रोजा रखा गया। इस पूरे महीने में दुनियाभर के मुसलमान खुदा की ज्यादा से ज्यादा इबादत करते हैं। इस महीने को बरकत का महीना कहा जाता है। लोग रोजे की हालत में सुबह से शाम तक भूखे-प्यासे रहकर इबादत करते हैं। रोजा सहरी से शुरू होता है और इफ्तार के साथ पूरा होता है। इस दौरान रोजा न रखने की भी कुछ लोगों को छूट दी गई है। जानिए वह कौन लोग हैं, जो रमजान में रोजे न भी रखें, तो उनको गुनाह नहीं मिलता है।
बीमार लोगों को दी गई छूट
रमजान के महीने में भले ही रोजे रखना फर्ज हो, लेकिन इसमें बीमार लोगों को रोजा न रखने की छूट दी गई है। ऐसे लोग जो किसी बीमारी से जूझ रहे हों, जिसकी वजह से उनकी हालत रोजा रखने के काबिल न हो। या फिर वह लोग जिनको बीमारी के चलते दवा खानी है, वर्ना उनकी तबीयत बिगड़ सकती है। इन लोगों को रोजे में छूट दी गई है। वह आगे चलकर कभी भी अपने रोजे पूरे कर सकते हैं।
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गर्भवती महिलाएं
कहते हैं कि रमजान में खुदा सभी को रोजा रखने की हिम्मत देता है। आमतौर पर देखा जाता है कि गर्भवती महिलाएं भी रोजा रखती हैं। मगर कई मामलों में गर्भवती महिलाओं की तबीयत ठीक नहीं रहती है, तो उनको रोजे में छूट दी गई है। वह अपनी सेहत को देखते हुए चाहें, तो रोजा छोड़ सकती हैं।
ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाएं
जो महिलाएं बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं, उनके लिए भी रमजान के महीने में छूट दी गई है। कई महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान चक्कर आते हैं, तो इस हालत में बच्चे और अपनी सेहत को देखते हुए रोजा छोड़ सकती हैं। 30 में से जो भी रोजे छूट गए हों, उन्हें वह आगे रख सकती हैं।
इसके अलावा, जो जिन लोगों की उम्र बहुत ज्यादा हो जाती है, उन्हें भी रोजे रखने में छूट दी गई है। वहीं, पीरियड्स के दौरान भी महिलाएं रोजा नहीं रखती हैं। हालांकि, नापाकी की हालत में जो रोजा नहीं रख पाई हैं, वह उनको साल के 11 महीने में कभी भी रख सकती हैं।
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