Ramadan 2025: रमजान के महीने को जितना डीप में जाकर समझोगे यह उतरा ही गहरा होता जाता है, क्योंकि इस महीने में की जाने वाली हर एक चीज का खास महत्व होता है। हर दिन मुसलमान के लिए खास होता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, 9वां महीना रमजान का होता है, जिसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। इन भागों को अशरा कहा जाता है। 10-10 दिन के इस अशरे का अपना अलग महत्व होता है। इस दौरान आपको बताया जाता है कि आपको क्या करना चाहिए, जिससे आपको ज्यादा नेकियां मिले? जानिए रमजान में अशरा क्या होता है?
पहला अशरा
रमजान की शुरुआत से लेकर 10 दिनों तक पहला अशरा होता है। इसको बरकत का अशरा कहा जाता है। इस दौरान मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा दान करने और गरीबों की मदद करने की सलाह दी जाती है। सभी लोग इस हिदायत को मानते हुए जरूरतमंद लोगों की दिल खोलकर मदद करते हैं।
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दूसरा अशरा
11वें रोजे से 20वें रोजे तक दूसरा अशरा होता है, जिसमें अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है। इसके लिए अल्लाह से माफी के लिए बार-बार ‘अस्तगफिरुल्लाह’ (मैं अल्लाह से माफी मांगता हूं) कहना चाहिए। इन 10 दिनों में जितना हो सके उतना दान करना चाहिए।
तीसरा अशरा
रमजान में तीसरा अशरा 21वें दिन से शुरू होता है, जो ईद का चांद दिखने के मुताबिक, 29वें या 30वें रोजे तक चलता है। यह अशरा जहन्नम की आग से बचने के लिए होता है। इस दौरान हर मुसलमान को खुदा से इसके लिए दुआ करनी चाहिए। इस आखिरी अशरा में बहुत से लोग एतिकाफ (दुनिया से अलग किसी एकांत जगह पर बिना किसी से बात किए खुदा की इबादत करना) में भी बैठते हैं।
शुरुआत में ही करें मदद की कोशिश
रमजान के पूरे महीने में ही लोग अपनी मगफिरत की दुआएं करते हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं। अपनी माली हालत के हिसाब से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी जकात-फितरा निकाल देना चाहिए। जिससे रमजान के पाक महीने में कोई गरीब भूखा न रहे, जो मदद आप करेंगे उससे उसके रोजे आसानी से गुजर सकें।
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