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Rama Ekadashi Vrat Katha: बिना कथा सुने या पढ़े अधूरा है रमा एकादशी का व्रत, जानें महत्व

Rama Ekadashi Vrat katha: कार्तिक माह की महापुण्यदायी रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। जो लोग रमा एकादशी का उपवास रखते हैं, उन्हें पूजा के दौरान व्रत की कथा को अवश्य सुनना या पढ़ना चाहिए, अन्यथा भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। चलिए जानते हैं रमा एकादशी व्रत की असली कथा के बारे में।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Sep 29, 2024 10:04
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Rama Ekadashi Vrat katha
रमा एकादशी व्रत कथा

Rama Ekadashi Vrat katha: एक साल में 24 बार एकादशी का व्रत रखा जाता है। प्रत्येक एकादशी के व्रत का महत्व और उससे जुड़े नियम एक दूसरे से अलग हैं। अक्टूबर के महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी पापांकुशा एकादशी का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा, जिसके बाद कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन 28 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, रमा एकादशी यानी कार्तिक कृष्ण एकादशी के दिन जगत के पालनहार विष्णु जी योग निद्रा से जागते हैं। इसलिए इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। हालांकि रमा एकादशी के उपवास का फल व्यक्ति को तभी मिलता है, जब वो व्रत की कथा का पाठ करता है। रमा एकादशी व्रत की कथा को सुनने व पढ़ने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। आइए अब जानते हैं रमा एकादशी व्रत की असली कथा क्या है?

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रमा एकादशी व्रत की असली कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में मुचुकुंद नामक एक राजा था, जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। सत्यवादी राजा मुचुकुंद की एक पुत्री थी, जिसका नाम चंद्रभागा था। चंद्रभागा का विवाह अन्य नगरी के राजा के पुत्र शोभन से हुआ था। राजा मुचुकुंद हर साल एकादशी का व्रत रखते थे। राजा के अलावा उनके राज्य के सभी लोग भी ये व्रत पूरे मन से रखते थे।

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शोभन की कैसे हुई मृत्यु?

चंद्रभागा के पति शोभन का दिल काफी कमजोर था, जिसके कारण वो व्रत नहीं रखते थे। लेकिन अपनी पत्नी के कहने पर शोभन ने एकादशी का व्रत रखा। लेकिन व्रत का पारण करने से पहले ही शोभन की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद चंद्रभागा अपने पिता के राज महल में वापस आ जाती है और वहां रहकर खुद को पूजा-पाठ में लीन कर लेती है।

शोभन ने एकादशी का व्रत सच्चे भाव से रखा था, जिसके प्रभाव के कारण अगले जन्म में वो देवपुर नगरी का राजा बना। एक बार राजा मुचुकुंद के नगर में रह रहा ब्राह्मण देवपुर नगरी गया। जहां उन्होंने शोभन को देखा और उसे पहचान लिया। ब्राह्मण अपने नगर वापस आया और उसने चंद्रभागा को पूरी बात बताई। ये बात सुनकर चंद्रभागा को बेहद प्रसन्नता हुई और वो शोभन से मिलने के लिए जाती है। चंद्रभागा शोभन को सारी बात बताती है, जिसके बाद दोनों साथ में खुशी-खुशी रहने लगते हैं।

रमा एकादशी व्रत का महत्व

माना जाता है कि 8 साल की उम्र से चंद्रभागा एकादशी का व्रत रख रही थी, जिसका समस्त पुण्य वो शोभन को सौंप देती है। इसी वजह से शोभन अगले जन्म में राजा बना और उसकी नगरी में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है। इसी के बाद से हर साल कार्तिक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन लोग रमा एकादशी का व्रत रखते हैं, जिसके कारण उनके जीवन में सदा सुख-शांति बनी रहे और उन्हें कभी किसी चीज की कमी न हो।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Sep 29, 2024 10:04 AM

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