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Navratri 2024 Special Story: महिषासुर का अंत करने के लिए कैसे हुई माता दुर्गा की उत्पत्ति?

Navratri 2024 Special Story: माता दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने महिषासुर का अंत करने के लिए दुर्गा का रूप धारण किया था। आइए जानते हैं माता दुर्गा के उत्पत्ति से जुड़ी कथा के बारे में जिसका वर्णन दुर्गा सप्तशती में किया गया है।

Edited By : Nishit Mishra | Updated: Oct 5, 2024 13:09
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navratri ki katha

Navratri 2024 Special Story: नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माता दुर्गा ने कई दैत्यों और असुरों का अंत किया था। महिषासुर का अंत करने के लिए सभी देवता चिंतित थे। फिर सभी देवता भगवान शंकर और विष्णु जी के पास गए। उसके बाद सभी देवताओं के तेज से माता दुर्गा प्रकट हुई ,चलिए जानते हैं देवी दुर्गा कैसे प्रकट हुई और उन्होंने महिषासुर का कैसे अंत किया?

पौराणिक कथा

पौराणिक काल में महिषासुर नाम का एक असुर हुआ करता था। बड़ा होने पर वह असुरों का सम्राट बन गया। वह देवताओं से वरदान पाकर अत्यंत शक्तिशाली हो गया था। एक दिन उसने इंद्रलोक पर आक्रमण कर दिया और देवताओं को इंद्र सहित देवलोक से बाहर निकाल दिया। देवताओं के इंद्रलोक छोड़ने के बाद महिषासुर देवलोक से ही तीनों लोकों पर शासन करने लगा। फिर एक दिन सभी देवता ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे महिषासुर के अत्याचार के बारे में बताया। देवताओं की पीड़ा सुन ब्रह्मा जी सभी को लेकर भगवान शिव और विष्णु जी के पास गए।

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कैसे प्रकट हुई देवी दुर्गा?

भगवान शिव और विष्णु जी के पास पहुंचकर, ब्रह्माजी ने देवताओं पर महिषासुर द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के बारे में विस्तार से बताया। ब्रह्मा जी की बातें सुनकर भगवान विष्णु और शिव जी क्रोधित हो उठे। दोनों को क्रोधित हुआ देख सभी देवता भी क्रोधित हो गए। क्रोध में भगवान विष्णु के मुख से एक तेज उत्पन्न हुआ। उसके बाद भगवान शिव सहित सभी देवताओं के शरीर से एक तेज निकला। सारे देवताओं के तेज एक जगह एकत्रित हो गए और उससे अग्नि के समान एक सुन्दर स्त्री प्रकट हुई। यही सुन्दर स्त्री माता दुर्गा कहलाई। फिर सभी देवताओं ने माता दुर्गा को अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। उसके बाद सभी देवता ने मिलकर माता की स्तुति की। उसके बाद माता दुर्गा ने जोर से गरजने लगीं।

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माता दुर्गा द्वारा सेनापतियों का वध

उधर देवलोक में बैठे असुर समझ गए कि यह युद्ध की ललकार है। उन सभी ने अपने-अपने शस्त्र उठा लिए। फिर अपने राजा महिषासुर का आदेश पाते ही सभी असुर उस गर्जना की ओर दौड़ पड़े। वहां पहुंचकर देवी दुर्गा को देखते ही महिषासुर का सेनापति चिक्षुर ने देवी पर आक्रमण कर दिया। देवी दुर्गा ने देखते ही देखते सारे सैनिकों का अंत कर दिया। सैनिकों के रक्त से उस युद्धक्षेत्र में कई रक्त कुंड बन गए। सैनिकों के मरते ही सेनापति चिक्षुर क्रोध से लाल हो गया और वह माता दुर्गा पर बाणों से प्रहार करने लगा। देवी दुर्गा ने भी अपने बाणों से उसके सारे बाण काट डाले। उसके बाद चिक्षुर ने शूल से देवी पर प्रहार किया, किन्तु शूल के रास्ते में ही टुकड़े-टुकड़े हो गए। उसके बाद माता दुर्गा ने अपने शूल के प्रहार से चिक्षुर का वध कर डाला।

महिषासुर का अंत

सेनापति चिक्षुर के मरते ही महिषासुर देवी की ओर झपट पड़ा। उसने भैंसे का रूप धारण कर माता के वाहन सिंह पर भी हमला कर दिया। यह देख देवी दुर्गा क्रोधित हो गई। फिर माता दुर्गा ने पाश से महिषासुर को बांध दिया। पाश से बांधते ही महिषासुर ने सिंह का रूप धारण कर लिया। इसी तरह वह देवी दुर्गा के वार से बचने के लिए कभी पुरुष का रूप धारण कर लेता तो, कभी हाथी बन जाता। हाथी का रूप धारण करते ही देवी दुर्गा ने उसकी सूंड काट डाली। सूंड के कटते ही महिषासुर ने पुनः भैंसे का रूप धारण कर लिया। इस बार माता ने उसे अपने पैर से दबा लिया। पैर के नीचे दबते ही महिषासुर का ऊपरी हिस्सा मनुष्य का हो गया। उसके बाद माता ने त्रिशूल से उसका अंत कर दिया। महिषासुर का अंत होते ही सभी देवता भगवती की स्तुति करने लगे और उन पर पुष्प बरसाने लगे। फिर माता दुर्गा देवताओं को वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गई।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nishit Mishra

First published on: Oct 05, 2024 01:09 PM

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