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Jitiya Vrat 2024: ये 5 चीजें बनाती हैं जितिया व्रत को खास, नहीं खाईं तो अधूरा रहेगा व्रत!

Jitiya Vrat 2024: जितिया व्रत मां के असीम प्रेम का प्रतीक है। माताएं हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अपने बच्चों की खुशहाली और दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं। इस व्रत के मौके पर कुछ खास चीजें भी सेवन की जाती है, वरना व्रत अधूरा माना जाता है। आइए जानते हैं, क्या हैं ये चीजें?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Sep 20, 2024 12:03
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Jitiya Vrat 2024: जितिया पर्व संतान की सलामती से जुड़ा एक विशेष व्रत है, जो संतान के प्रति मां के असीम प्रेम का प्रतीक माना जाता है। संतानवती महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला यह व्रत मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में विशेष प्रचलित है। हालांकि हाल के वर्षों इसका विस्तार मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में भी हुआ है।

इस व्रत को जिउतिया और जीवित्पुत्रिका भी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखकर माताएं अपने बच्चों की खुशहाली और दीर्घायु की कामना करती हैं। इस व्रत के नहाय-खाय और पारण के दिन में कुछ विशेष व्यंजन और सब्जियां खाती हैं, जो इस पर्व को खास बनाती हैं। आइए जानते हैं, क्या हैं ये ख़ास चीजें और क्यों किया जाता है इनका सेवन?

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कब है जितिया व्रत 2024?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत हर साल आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह व्रत 25 सितंबर 2024 को पड़ रहां है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान की रक्षा होती है और उन्हें सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

माएं करती हैं इन चीजों का सेवन

जितिया एक कठिन व्रत है, जो निर्जला किया जाता है यानी इस दिन भोजन तो दूर एक बूंद पानी भी नहीं पिया जाता है। वहीं इस व्रत के एक दिन पहले, जिसे नहाय-खाय कहते हैं और व्रत के पारण के दिन, महिलाएं कुछ विशेष प्रकार की सब्जियां और व्यंजनों का सेवन करती हैं। मान्यता है कि इनका सेवन न करने से जितिया व्रत अधूरा माना जाता है। ये चीजें हैं:

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नोनी साग

जितिया के नहाय-खाय और पारण के अवसर नोनी साग (noni ka saag) खाई जाती है। हरी-लाल-भूरी रंग की नोनी साग खास तौर से इस मौसम में ही उगता है। इस दिन इस साग से  भुने साग, नोनी के पकौड़े, नोनी दाल आदि व्यंजन बनाए जाते हैं।

तोरई या सतपुतिया

छोटी वाली तोरई जो गुच्छों में होती है, इसकी भी सब्जी जितिया के मौके पर महिलाएं जरूर खाती हैं। इसे सतपुतिया और झिंगनी भी कहते हैं। जितिया व्रत की सुबह इसके पत्तों पर भगवान जीमूतवाहन और पितरों को प्रसाद चढ़ाने का भी रिवाज है।

मंडुआ की रोटी और टिक्की

मंडुआ एक मोटा अनाज है, जो रागी परिवार से संबंधित है। जितिया व्रत के दिन महिलाएं इस अनाज का रोटी और टिक्कियां बनाकर सेवन करती हैं।

देसी मटर

जितिया के पारण के दिन देसी मटर खाकर ही व्रत तोड़ा जाता है। इसका एक नाम कुशी केराव भी है। इसे देसी मटर इसलिए कहते हैं, क्योंकि यह मटर बंजर जमीन में भी उग आता है।

अरबी के व्यंजन

अरबी का परिचय देने की जरूरत नहीं है। यह जड़ वाली सब्जी प्रायः हर जगह मिलती है। बिहार में इसे कच्चू भी बोलते हैं। जितिया के नहाय-खाय और पारण के दिन इसकी जड़ और पत्ते से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।

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जितिया में क्यों खाई जाती है ये चीजें

जितिया में नहाय खाय और पारण के अवसर पर वैसी साग-सब्जियां ही खाई जाती हैं, जो आसानी से उगती हों। यहां जिन 5 सब्जियों के बात की गई है, उन्हें उगाने और बड़ा करने में विशेष मेहनत नहीं करनी पड़ती है, साथ ही ये मौसम की हर तरह की मार झेलने में सक्षम होती हैं। इन साग-सब्जियों को जितिया के दिन खाने के साथ मांएं ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार ये साग-सब्जियां हर परिस्थिति में उग जाती है, बढ़ती हैं, उसी प्रकार उनकी संतान भी हर परिस्थिति में जी सके। वे फल-फूल सकें। असफलता और विषम परिस्थिति उन्हें डिगा नहीं सकें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Shyam Nandan

Edited By

Shyam Nandan

First published on: Sep 19, 2024 01:28 PM

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