Navratri 3rd Day 2024: आज 5 अक्टूबर को माता के तीसरे रूप की पूजा की जाएगी। माता दुर्गा के तीसरे रूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। चलिए जानते हैं कि माता के इस स्वरूप का पूजन कैसे करना चाहिए, जिससे माता प्रसन्न हो जाती हैं।
माता का स्वरूप
हिन्दू धर्म में नवरात्रि में माता के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार, देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्ध चन्द्रमा विराजमान हैं, इसलिए देवी दुर्गा के इस रूप को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। देवी चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान बताया जाता है। माता के इस रूप का वाहन सिंह है। माता चंद्रघंटा धनुष, बाण, खड्ग, तलवार, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित मानी जाती हैं। माता चंद्रघंटा तंत्र विद्याओं की सिद्धि के लिए भी जानी जाती हैं।
माता चंद्रघंटा पूजा विधि
दुर्गा सप्तशती के अनुसार, नवरात्रि के तीसरे दिन नहाने के बाद माता चंद्रघंटा का ध्यान करना चाहिए। उसके बाद पूजा घर को गंगाजल से पवित्र कर लें। फिर पांच घी के दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद माता के चरणों में श्वेत कमल पुष्प या पीले पुष्प अर्पित करें। पुष्प अर्पित करने के बाद माता को अक्षत और रोली चढ़ाएं, फिर माता की आरती करें। ऐसा माना जाता है कि आरती के दौरान शंख बजाने से घर की नकारात्मकता दूर होती है। अगर परिवार के सभी सदस्य मौजूद हों तो माता के नाम का जोर से जयकारा लगाएं।
भोग क्या लगाएं
नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा को केसर या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि केसर या दूध का भोग लगाने से माता प्रसन्न हो जाती हैं और वे भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। भोग लगाने के बाद दुर्गा चालीसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करें।
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