Hindu Dharm: हिन्दू धर्म में तुलसी को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि मां तुलसी कहा ,गया है. तुलसी भगवान विष्णु की अति प्रिय मानी जाती हैं. यही कारण है कि वैष्णव परंपरा में तुलसी की माला का विशेष महत्व है. इसे पहनना सिर्फ धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक व्रत माना जाता है, जो व्यक्ति को सात्त्विक और भक्ति मार्ग की ओर ले जाता है. आइए जानते हैं, तुलसी की माला का धार्मिक महत्व क्या है, इसे कौन धारण कर सकते हैं और इसे पहनने के बाद प्याज-लहसुन समेत सभी तामसिक आहार क्यों वर्जित हैं?
तुलसी की माला का धार्मिक महत्व
तुलसी की माला को “विष्णु माला” भी कहा जाता है. इसे पहनने से मनुष्य के विचार, कर्म और आचरण में शुद्धता आती है. तुलसी की लकड़ी से बनी यह माला व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से बचाती है और मन में शांति, श्रद्धा और आत्मबल बढ़ाती है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति यह माला धारण करता है, वह स्वयं भगवान विष्णु की शरण में आ जाता है.
कौन पहन सकता है तुलसी की माला?
इस माला को कोई भी व्यक्ति पहन सकता है, चाहे वह स्त्री हो, पुरुष हो या बालक. तुलसी की माला पहनने के लिए जाति, लिंग या उम्र की कोई बाध्यता नहीं है. हालांकि, जो लोग भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण या श्रीराम के भक्त हैं, उनके लिए यह माला विशेष रूप से शुभ मानी जाती है. जो लोग सुरक्षा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, वे भी तुलसी की माला धारण कर सकते हैं.
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प्याज और लहसुन क्यों हैं वर्जित?
तुलसी की माला पहनना सिर्फ एक आभूषण धारण करना नहीं, बल्कि यह एक सात्त्विक जीवनशैली अपनाने का संकल्प है. हिन्दू धर्म के अनुसार प्याज, लहसुन, मांस-मछली और शराब जैसे खाद्य पदार्थ “तामसिक आहार” की श्रेणी में आते हैं.
तामसिक भोजन मन में आलस्य, क्रोध, और वासनाओं को बढ़ाता है. यह साधना और ध्यान में बाधा डालता है. जबकि तुलसी माला पहनने का अर्थ है कि व्यक्ति अब अपने मन को भगवान की भक्ति में स्थिर रखना चाहता है.
इसी कारण तुलसी माला पहनने वाले लोगों को प्याज-लहसुन से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है, ताकि उनका मन सात्त्विक और शांत बना रहे.
क्या कहते हैं धर्मग्रंथ?
गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण जैसे ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि तुलसी की माला पहनने वाला व्यक्ति भगवान विष्णु का भक्त माना जाता है. तुलसी देवी को स्वयं विष्णुपत्नी कहा गया है, इसलिए तुलसी माला पहनकर तामसिक भोजन करना पवित्रता का अपमान माना गया है. ये ग्रंथ कहते हैं कि तुलसी माला धारण करने वाला व्यक्ति यदि सात्त्विक जीवन अपनाता है, तो उसे न केवल आध्यात्मिक शांति बल्कि सांसारिक सुख-संपन्नता भी प्राप्त होती है.
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