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Religion

Dussehra 2025: भारत में दशहरे के दिन इन 3 जगह पर नहीं मनाते जश्न, रावण की पत्नी मंदोदरी से है कनेक्शन

Dussehra 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए दशहरा के पर्व का खास महत्व है. हालांकि, देश में कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां पर दशहरा नहीं मनाया जाता है, बल्कि रावण की पूजा की जाती है और उन्हें भोग लगाया जाता है. चलिए जानते हैं भारत में कहां-कहां दशहरा नहीं मनाया जाता है और उसके पीछे का कारण क्या है.

Author Written By: Nidhi Jain Author Published By : Nidhi Jain Updated: Oct 1, 2025 16:28
Ravan Mandir
Credit- Social Media

Dussehra 2025: हर साल देशभर में धूमधाम से दशहरा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लोग भगवान राम की पूजा करने के बाद रावण दहन करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, दशहरा के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकाधिपति रावण का वध किया था और माता सीता को बचाया था. इसलिए इस दिन लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मनाते हैं. इस बार 2 अक्टूबर 2025 को दशहरा मनाया जाएगा. हालांकि, देश में कई ऐसी भी जगह हैं जहां पर रावण दहन नहीं किया जाता है.

आज हम आपको उन्हीं 3 जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दशहरा का जश्न नहीं मनाया जाता है बल्कि रावण की पूजा की जाती है.

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विदिशा

मध्य प्रदेश राज्य में विदिशा नामक एक जिला है, जिसे रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान माना जाता है. यहां पर दशहरा नहीं मनाया जाता है, बल्कि रावण की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसके अलावा रावण को भोग और उनकी प्रिय चीजें अर्पित की जाती हैं.

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मंदसौर

मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर के खानपुरा इलाके में रावण का एक प्राचीन मंदिर स्थित है. यहां पर रावण की एक 35 फीट ऊंची प्रतिमा भी है, जिसकी नियमित रूप से पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका है. इसलिए इस इलाके में रावण दहन नहीं किया जाता है, बल्कि रावण को दामाद मानकर पूजा जाता है.

शिवाला

उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला क्षेत्र में दशानन मंदिर स्थित है, जो कि रावण को समर्पित है. इस मंदिर में रावण की विशाल मूर्ति स्थित है. हालांकि, मंदिर के कपाट साल में केवल एक दिन दशहरा पर ही खुलते हैं, जिस दिन पूरे विधि-विधान से रावण की मूर्ति का श्रंगार किया जाता है. फिर पूजा और आरती करने के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, दशानन मंदिर में दशहरा के दिन तेल का दीपक जलाने और पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 01, 2025 04:27 PM

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