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Diwali 2024: दिवाली पर स्थिर लग्न में पूजा से प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी; मिलेगा मात्र इतना समय, नोट कर लें शुभ मुहूर्त

Diwali 2024: हिन्दू धर्म ग्रंथों और प्रचलित मान्यताओं के अनुसार दिवाली के शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन स्थिर लग्न में करने से धन और संपत्ति लंबे समय तक टिकती है। आइए जानते हैं, 31 अक्टूबर, 2024 को दिवाली पूजन का स्थिर लग्न कब से कब तक है?

Author Edited By : Shyamnandan Updated: Oct 31, 2024 07:59
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Diwali 2024: धन, समृद्धि, सौभाग्य और प्रकाश का पर्व आज कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या गुरुवार के दिन 31 अक्टूबर 2024 दिन को बहुत ही श्रद्धा भाव और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन जहां गृहस्थ व्यक्ति मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं, वहीं व्यवसायी व्यक्ति श्री महालक्ष्मी और महागणपति की आराधना करते हैं। साथ ही आज पुराने व्यापार में खाता पूजन का विशेष विधान है। आइए जानते हैं, लक्ष्मी-गणेश पूजन का बेस्ट टाइम क्या है, ताकि उस शुभ मुहूर्त में पूजा कर सबसे अधिक लाभान्वित हो सकें।

अमावस्या तिथि कब से कब तक?

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी का पूजन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में सबसे बढ़िया माना गया है। प्रदोष काल के अलावा निशिताकाल में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। निशिताकाल पूजा व्यवसायियों और तांत्रिकों द्वारा की जाती है। गुरुवार 31 अक्टूबर, 2024 को अमावस्या तिथि दिन में दोपहर बाद 3 बजकर 52 से शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी शुक्रवार 1 नवंबर, 2024 दिन की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है।

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31 अक्तूबर 2024: दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल: संध्या काल में 05:48 PM से 08:21 PM

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वृषभ काल (स्थिर लग्न): संध्या काल में 06:35 PM से 08:33 PM

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: संध्या काल में 06:45 PM से 08:30 PM तक (अवधि 01 घण्टे 45 मिनट)

निशिता काल पूजा: रात्रि में11:39 PM से 12:31 AM तक

दिवाली के शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर लिए यत्न किए जाते हैं। इस त्योहार के दिन स्थिर लग्न में शुभ मुहूर्त देखकर उनकी पूजा की जाती है। इस बार दिवाली की पूजा में वृषभ संध्या काल में 6 बजकर 35 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक मिल रहा है।

स्थिर लग्न वृषभ में क्यों की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा

हिन्दू धर्म के ग्रंथों में देवी लक्ष्मी को ‘चंचला’ कहा है, जिसका तात्पर्य है कि वे कहीं स्थायी रूप से नहीं रहती हैं। हालांकि इसका कारण स्वयं मनुष्य का कर्म और भाग्य होते हैं, मां लक्ष्मी नहीं। दिवाली के दिन शुभ स्थिर लग्न और मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा करने से वे घर, परिवार और जीवन में स्थिर रहकर साधक का कल्याण करती है। ग्रंथों के मुताबिक़ मंगलकार्य, ग्रहप्रवेश कार्य, ग्रहारंभ कार्य, व्यापार और वाहन खरीदने संबंधी कार्य हमेशा वृषभ लग्न में सफल होते हैं, इसलिए पूजा के समय स्थिर लगन् वृषभ लगन देखा जाता है और इसके लिए वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि को बढ़िया माना गया है। इसमें भी वृषभ लग्न सर्वोत्तम होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Oct 31, 2024 07:59 AM

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