Dhumavati Jayanti 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मां धूमावती जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि मां धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां धूमावती धुएं से प्रकट हुई थीं। मान्यता है कि है मां धूमावती के समान इस संसार में कोई शक्ति नहीं है। इसलिए जो साधक हैं उनके लिए धूमावती जयंती के दिन माता की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही सारी मनोकामना भी पूर्ण होती हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि धूमावती जयंती कब है, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या हैं।
धूमावती जयंती कब
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन धूमावती जयंती मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 14 जून को है यानी धूमावती जयंती 14 जून को मनाई जाएगी।
धूमावती जयंती पूजा विधि
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धूमावती जयंती के दिन प्रातकाल उठकर सबसे पहले स्नान-ध्यान करें। उसके बाद घर के मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें। बाद में मंदिर में पूजा स्थल पर धूमावती माता की तस्वीर स्थापित करें। उसके बाद धूप, दीप, फूल, फल और अक्षत अर्पित करें। मान्यता है कि मां धूमावती की पूजा में भोग अर्पित करने का विशेष महत्व है। जो लोग इस दिन पूजा में भोग अर्पित करते हैं उन्हें भाग्यशाली का वरदान मिलता है।
खास बात यह है मां धूमावती को मीठे भोग का नहीं बल्कि भोग में नमकीन अर्पित करना चाहिए। इस दिन माता को कचौड़ी या पकौड़े का भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता धूमावती को सूखी रोटी पर नमक लगाकर भी भोग अर्पित किया जाता है, क्योंकि माता को रोटी बेहद पसंद है। मान्यता है कि जो लोग रोटी का भोग अर्पित करते हैं उन पर मां धूमावती प्रसन्न रहती है।
धूमावती जयंती का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग 10 महाविद्याओं के स्वरूप माता धूमावती की पूजा करते हैं उन पर मां की कृपा बनी रहती हैं। साथ ही उन्हें सभी कार्यों में सफलता भी मिलती हैं। जीवन की सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। जीवन खुशहाल रहने लगता है। कार्यक्षेत्र में विस्तार होने लगता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।