---विज्ञापन---

देवशयनी एकादशी आज, 4 महीने सोएंगे भगवान विष्णु, फिर कैसे होंगे मांगलिक कार्य

Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी आज बुधवार 17 जुलाई को मनाई जा रही है। आज के बाद भगवान विष्णु सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक के इन चार महीने के लिए सो जाएंगे। आइए जानते हैं, जब चातुर्मास की अवधि में भगवान सोए रहेंगे तो मांगलिक कार्य कैसे होंगे?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 17, 2024 10:22
Share :

Devshayani Ekadashi 2024: हिन्दू धर्म में देवशयनी एकादशी सभी 24 एकादशियों में सबसे चर्चित और बेहद महत्वपूर्ण एकादशी है। यह एकादशी आज बुधवार 17 जुलाई को मनाई जा रही है, जिसका पारण कल 18 जुलाई को किया जाएगा। इस दिन पूजित होने के बाद भगवान विष्णु अगले 4 महीने के लिए सो जाते हैं। इसलिए देवशयनी एकादशी व्रत और पूजा पाठ का विशेष महत्व है। देवशयनी एकादशी के दिन चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। आइए जानते हैं, देवशयनी एकादशी का महत्व क्या है और जब चातुर्मास की अवधि में भगवान सोए रहेंगे तो मांगलिक कार्य कैसे होंगे?

देवशयनी एकादशी का महत्व

बहुत से हिन्दू श्रद्धालु पूरे साल में दो एकादशी जरूर करते हैं, पहला देवशयनी एकादशी और दूसरा देवोत्थान एकादशी। देवशयनी एकादशी पर जहां भगवान विष्णु क्षीरसागर में अनंत शैय्या पर योगनिद्रा में चले जाते हैं, वहीं देवोत्थान एकादशी पर वे निद्रा से जागृत होते हैं। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का व्रत रखने, पूजा पाठ उपवास रखने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं। पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास या उपवास करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करने से भय, रोग और शोक से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की उपासना से धन संकट को दूर हो जाते हैं।

---विज्ञापन---

भगवान विष्णु सोते क्यों हैं?

पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को एक भीषण युद्ध में शंखासुर दैत्य को मारा था। इससे भगवान थक गए और योगनिद्रा में चले गए। चार मास तक क्षीर समुद्र में शयन करने के बाद वे कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। दूसरी मान्यता यह है कि भगवान विष्णु ने अपने वामन रूप में दैत्यराज बलि से तीन पग भूमि दान में लेने के बदले में वे रात-दिन बलि के साथ रसातल यानी पाताल से भी नीचे की दुनिया में रहने को बाध्य हो गए थे। तब से इस दिन से भगवान विष्णु जी द्वारा वर का पालन करने के उपलक्ष्य में धरातल यानी पृथ्वी पर चातुर्मास मनाया जाता है।

---विज्ञापन---

4 माह सोएंगे भगवान तो कैसे होगी पूजा?

चातुर्मास के 4 माह में भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं। प्रचलित मान्यता है कि इस अवधि में हिन्दू घरों में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। यही कारण है कि चातुर्मास में हिन्दू घरों में सगाई, मंगनी, विवाह, उपनयन, मुंडन, भूमि पूजन और गृह प्रवेश नहीं किए जाते हैं। साथ ही 16 हिन्दू संस्कारों में से अंत्येष्टि को छोड़ कर बहुत से संस्कार भी नहीं किए जाते हैं। लेकिन दैनिक पूजा-पाठ, व्रत और त्योहार करने पर कोई पाबंदी नहीं होती है यानी चातुर्मास में भी सभी व्रत और पूजा-पाठ कर सकते हैं।

चातुर्मास में ये देवता देते हैं फल

सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक के इन चार महीनों को हिन्दू धर्म चातुर्मास कहा गया है। चूंकि इस अवधि में भगवान विष्णु के सोए रहते हैं, इसलिए अनिष्ट शक्तियों के उदय होने की आशंका रहती है। इसे देखते हुए हिन्दू धर्म में सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक के महीनों के देवता निश्चित कर दिए गए हैं। सावन में शिव पूजा का विधान है। वहीं भादों में भगवान गणेश और श्रीकृष्ण की पूजा से पुण्य-फल मिलता है। जबकि आश्विन माह में देवी दुर्गा की पूजा और आराधना से जीवन सुखमय होता है। वहीं, कार्तिक मास में भगवान कार्तिकेय और सूर्य पूजा से जीवन में आरोग्य और समृद्धि बढती है। बता दें, चातुर्मास में भगवान भोलेनाथ और शिव परिवार की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि चातुर्मास में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं।

ये भी पढ़ें: हर 12 साल में सीधे शिवलिंग पर गिरती है इंद्र के वज्र की बिजली, टूटकर फिर जुड़ जाते हैं महादेव

ये भी पढ़ें: पांव में धंसा तीर, सुन्न पड़ गया शरीर…इस रहस्यमय तरीके से हुई भगवान कृष्ण की मृत्यु!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Written By

Shyam Nandan

First published on: Jul 17, 2024 10:22 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें