---विज्ञापन---

Religion

Darsh Amavasya 2025: आषाढ़ माह की दर्श अमावस्या कब? जानें तिथि, चंद्र और पितरों की पूजा का शुभ मुहूर्त

Darsh Amavasya 2025: हर साल आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि का आषाढ़ अमावस्या मनाई जाती है, जिसे दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। चलिए जानते हैं साल 2025 में आषाढ़ माह की दर्श अमावस्या कब मनाई जाएगी। साथ ही आपको चंद्र और पितरों की पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में पता चलेगा।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jun 15, 2025 15:14
Darsh Amavasya 2025

Darsh Amavasya 2025: धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों के लिहाज से दर्श अमावस्या का दिन बेहद खास है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या की पूजा की जाती है, जिसे दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा जिस समय हिंदू कैलेंडर के अनुसार जो महीना चल रहा होता है, उसे उस नाम की अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस समय आषाढ़ माह चल रहा है। ऐसे में दर्श अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या भी कह सकते हैं।

दर्श अमावस्या के दिन चंद्र देव और शिव जी की पूजा की जाती है। साथ ही पितरों को खुश करने के लिए तर्पण और दान आदि शुभ कार्य किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन पितृ अपने परिवारवालों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं। इसलिए इस दिन पितरों को संतुष्ट करने के लिए तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। चलिए जानते हैं आषाढ़ माह में किस दिन दर्श अमावस्या की पूजा की जाएगी।

---विज्ञापन---

जून में दर्श अमावस्या कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की तिथि का आरंभ 24 जून 2025 को शाम 6 बजकर 59 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 25 जून 2025 को शाम 4 बजे होगा। उदयातिथि के आधार पर साल 2025 में 25 जून, वार बुधवार को दर्श अमावस्या मनाई जाएगी।

ये भी पढ़ें- Raksha Bandhan: 2025 में कब है रक्षा बंधन? जानें तिथि और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

---विज्ञापन---

दर्श अमावस्या की पूजा का मुहूर्त

  • सूर्योदय- प्रात: काल 05:25
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:05 से लेकर 04:45 मिनट तक
  • राहुकाल- दोपहर में 12:24 से लेकर 02:09 मिनट तक
  • गुलिक काल- सुबह 10:39 से लेकर दोपहर 12:24 मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त- नहीं है

दर्श अमावस्या की पूजा विधि

  • अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य दें।
  • पितरों को संतुष्ट करने के लिए तर्पण करें।
  • पीपल के पेड़ की पूजा करें। पेड़ की जड़ में जल और कच्चा दूध अर्पित करें। पेड़ की सात बार परिक्रमा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • रात में चंद्र देव की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें।

ये भी पढ़ें- Numerology: इन तारीखों पर जन्मे लोगों को नहीं आता घुमा-फिराकर बात करना, इसलिए रहते हैं हमेशा अकेले

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 15, 2025 03:14 PM

संबंधित खबरें