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Religion

क्या है बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद, जानें गोस्वामी समाज क्यों कर रहा है विरोध?

Banke Bihari Corridor Controversy: उत्तरप्रदेश के मथुरा वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर की योजना पर विवाद गहराता जा रहा है। वृंदावन का गोस्वामी समाज इस कॉरिडोर के खिलाफ है। उनका मानना है कि इस निर्माण से वृंदावन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 7, 2025 23:10
Banke Bihari Corridor Controversy
बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद

Banke Bihari Corridor Controversy: उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों के विकास की कड़ी में मथुरा के वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर योजना विवादों के घेरे में है। करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह कॉरिडोर 5 एकड़ जमीन पर तैयार किया जाएगा, जिसमें तीन एंट्री गेट, आधुनिक सुविधाएं और श्रद्धालुओं के लिए सुगम दर्शन व्यवस्था शामिल होगी। जहां उत्तर प्रदेश सरकार इसे एक ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देख रही है, वहीं मंदिर में पूजा-पाठ करने वाले गोस्वामी समाज ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। गोस्वामी समाज का कहना है कि यह परियोजना वृंदावन की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचाएगी। उनके विरोध की चार प्रमुख वजहें इस विवाद को और गहरा बना रही हैं।

खत्म हो जाएंगी कुंज गलियां

वृंदावन की संकरी गलियां, जिन्हें ‘कुंज गलियां’ कहा जाता है, इस शहर की आध्यात्मिक आत्मा का अभिन्न हिस्सा हैं। गोस्वामी समाज का दावा है कि कॉरिडोर निर्माण से ये गलियां पूरी तरह समाप्त हो जाएंगी। ये गलियां न केवल वृंदावन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं से भी जुड़ी हैं। समाज का मानना है कि इन गलियों को हटाने से वृंदावन का वह अनूठा आकर्षण और पवित्रता नष्ट हो जाएगी, जो इसे विश्व भर में विशेष बनाती है।

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नष्ट हो जाएगी वृंदावन का शांत वातावरण

गोस्वामी समाज का दूसरा प्रमुख विरोध कॉरिडोर के आधुनिक निर्माण से वृंदावन की पारंपरिक जीवनशैली और पूजा पद्धति पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर है। उनका कहना है कि इस भव्य परियोजना की चकाचौंध वृंदावन के अलौकिक और शांत वातावरण को नष्ट कर देगी। बांके बिहारी मंदिर में सादगी और भक्ति से की जाने वाली पूजा पद्धति इस आधुनिक ढांचे के बीच अपनी मौलिकता खो सकती है। समाज का मानना है कि यह परियोजना स्थानीय आस्था और सदियों पुरानी परंपराओं पर गहरा आघात पहुंचाएगी, जिससे मंदिर का आध्यात्मिक महत्व कम हो सकता है।

दुकानदारों की आजीविका पर संकट

कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर के आसपास की कई दुकानें और छोटे व्यवसाय हटाए जाएंगे। गोस्वामी समाज ने इस बात पर गहरी चिंता जताई है कि इससे कई परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी। ये परिवार पीढ़ियों से मंदिर और श्रद्धालुओं की सेवा में लगे हैं और उनकी आय का मुख्य स्रोत मंदिर के आसपास की दुकानें और छोटे व्यवसाय हैं। समाज का कहना है कि कॉरिडोर बनने से इन परिवारों का आर्थिक आधार छिन जाएगा, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट मंडराएगा। यह मुद्दा स्थानीय समुदाय के लिए बेहद संवेदनशील है और विरोध को और तेज कर रहा है।

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पारदर्शिता की कमी

गोस्वामी समाज की चौथी बड़ी चिंता कॉरिडोर निर्माण में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की आशंका से जुड़ी है। उनका कहना है कि 500 करोड़ रुपये की इस विशाल परियोजना में टेंडर प्रक्रिया और धन के उपयोग में मनमानी हो सकती है। समाज को डर है कि अपारदर्शी प्रक्रियाएं मंदिर की गरिमा को नुकसान पहुंचा सकती हैं और भक्तों के दान का दुरुपयोग हो सकता है। यह आशंका न केवल गोस्वामी समाज, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच भी कॉरिडोर के प्रति अविश्वास पैदा कर रही है।

श्रद्धालुओं की सुविधा प्राथमिकता

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार बांके बिहारी कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाना और मंदिर में भीड़-भाड़ से राहत देना है। सरकार के अनुसार, यह परियोजना मंदिर के दर्शन को अधिक सुगम और सुरक्षित बनाएगी, जिससे लाखों भक्तों को लाभ होगा। इसके लिए 5 एकड़ में दो मंजिला कॉरिडोर, तीन प्रवेश मार्ग, और आधुनिक सुविधाओं की योजना बनाई गई है। हालांकि, सरकार ने यह भी कहा कि वह स्थानीय समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए संवाद के लिए तैयार है।

क्यों पड़ी कॉरिडोर की आवश्यकता?

बांके बिहारी मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और खासकर जनमाष्टमी जैसे अवसरों पर भीड़ बेकाबू हो जाती है। पिछले साल जनमाष्टमी के दौरान मंदिर में भगदड़ में दो श्रद्धालुओं की मृत्यु और कई के घायल होने की घटना के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन को कॉरिडोर का विकास योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इस कॉरिडोर का उद्देश्य भीड़ प्रबंधन, दर्शन की सुगमता, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 5 एकड़ में बनने वाला यह दो मंजिला कॉरिडोर तीन रास्तों के जरिए मंदिर तक पहुंच प्रदान करेगा। सरकार का दावा है कि यह प्रोजेक्ट वृंदावन को पर्यटन हब के रूप में और मजबूत करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।

First published on: Jun 07, 2025 11:10 PM

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