---विज्ञापन---

भूलकर भी बनारस से ‘गंगाजल और मिट्टी’ न ले जाएं घर, बनेंगे महापाप के भागी, जानें क्यों

Banaras Gangajal Facts: पौराणिक मान्यताओं के कारण बाबा भोलेनाथ शिव की नगरी बनारस यानी काशी से गंगाजल और गीली मिट्टी अपने घर ले जाना वर्जित है। कहते हैं, इससे व्यक्ति महापाप का भागी बन जाता है। कभी-कभी यह संकट का कारण भी बन सकता है। आइए जानते है, क्यों और कैसे?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 14, 2024 19:40
Share :
banaras-gangajal-facts

Banaras Gangajal Facts: बनारस यानी वाराणसी को मोक्ष का द्वार और मोक्ष नगरी कहा जाता है। काशी इसी शहर का एक प्राचीन नाम है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस नगर की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी। कहते हैं, यह दुनिया का एक प्राचीनतम शहर है, जो देवाधिदेव भगवान शंकर के त्रिशूल की नोक पर टिका है। पतित पावनी गंगा नदी के तट पर स्थित इस नगर के बारे में मान्यता है कि यहां से गंगा जल और मिट्टी को घर ले जाना वर्जित है। कहते हैं, जो यह काम करते हैं, वे महापाप के भागी बनते हैं। आइए जानते हैं, इस मान्यता के पीछे पौराणिक कारण क्या है ताकि आप भी भूल से ऐसी गलती न कर बैठें।

मोक्ष नगरी काशी की मान्यता

शिव की नगरी वाराणसी को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां पर जो जीव, जन्तु और मानव आकर अपने प्राण त्यागता है, तो उसे जन्म और मरण के चक्र से छुटकारा मिल जाता है। यही कारण है कि यहां अनेक मोक्ष आश्रम बने है, जहां लोग अपने जीवन के अंतिम समय में आते हैं, मृत्यु होने तक ठहरते हैं और मोक्ष पाते हैं। सनातन धर्म में मान्यता है कि किसी व्यक्ति या जीव को काशी आने के लिए प्रेरित करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है, वहीं से इस नगर से किसी जीव को अलग करने वाले व्यक्ति पाप के भागी होते हैं।

---विज्ञापन---

इसलिए नहीं ले जाते हैं गंगाजल और मिट्टी

रात में बनारस के घाट

मान्यता है कि केवल बनारस या काशी को छोड़कर पवित्र गंगाजल को किसी भी स्थान से लिया जा सकता है। जो व्यक्ति काशी से गंगाजल जल ले जाते हैं, वे जल के साथ जल में समाहित जीवों को भी घर ले जाते हैं। कहते हैं, किसी को भी काशी से अलग करने से उस जीव का मृत्यु और पुनर्जन्म का चक्र बाधित होता है, जिसका वह अधिकारी है। काशी के जीवमात्र को उनके मोक्ष के इस अधिकार से वंचित करना महापाप माना जाता है।

यही नियम संपूर्ण बनारस की मिट्टी, विशेष कर गंगाजल की गीली मिट्टी, पर लागू होता है। गंगाजल की गीली मिट्टी में भी हजारों-लाखों कीटाणुओं की उपस्थिति रहती है। काशी से गंगाजल न लेने के पीछे का कारण यह भी है कि काशी में किसी का दाह संस्कार किया जाता है, तो उसकी राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है। काशी से गंगाजल ले जाने पर उस पानी में मृतक आत्मा के अंग या अंश, राख या अवशेष आ जाते हैं। इससे भी उसके मोक्ष पाने में बाधा आ सकती है।

---विज्ञापन---

अघोरी मसानी शक्तियां कर सकती हैं बर्बाद

काशी के मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र आदि घाटों पर रोजाना हजारों शवों की अंत्येष्टि होती है। यहां अघोरी मसानी शक्तियां सक्रिय रहती हैं। वे काशी में केवल भगवान के भय से शांत रहती हैं और किसी को परेशान नहीं करती हैं। लेकिन जब आप गंगाजल या गीली मिट्टी काशी से ले जाते हैं, तो उसके साथ अघोरी मसानी शक्तियां आपके घर पहुंच सकती हैं और आपके जीवन को तहस-नहस कर सकती हैं।

ये भी पढ़ें:  July 2024 Panchak: जुलाई में कब रहेगा अग्नि पंचक? इस दौरान शुभ काम से यात्रा करनी पड़े, तो करें ये उपाय

ये भी पढ़ें:  पांव में धंसा तीर, सुन्न पड़ गया शरीर…इस रहस्यमय तरीके से हुई भगवान कृष्ण की मृत्यु!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Edited By

Shyam Nandan

First published on: Jul 14, 2024 07:38 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें