बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी में लगातार अलग-अलग आवाज उठ रही है। पार्टी नेता सफाई देते हैं, लेकिन बीच-बीच में राजनीतिक हलकों में महाराष्ट्र मॉडल की चर्चा एनडीए के दलों की बेचैनी बढ़ा रही है। बिहार के इस सियासी चरित्र का परिणाम क्या हो सकता है?
बिहार में बीजेपी नेताओं के अलग-अलग सुरों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सम्राट चौधरी को अगला मुख्यमंत्री बताकर सबको चौंका दिया। विवाद गहराते ही भाजपा नेतृत्व को सफाई देनी पड़ी कि नीतीश कुमार ही एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। हालांकि, राज्य में डैमेज कंट्रोल के लिए एक धरा एक्टिव है, जिसका राजनीतिक भविष्य राज्य के चुनाव से सीधा जुड़ा हुआ है। लेकिन इनडायरेक्ट रिश्ता रखने वाले नेता अलग-अलग लाइन पर बयान दे रहे हैं।
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बिहार चुनाव को महाराष्ट्र मॉडल से जोड़ा जा रहा है
इन सबके बीच कुछ विश्लेषक इस राजनीतिक घमासान को महाराष्ट्र के मॉडल से जोड़कर देख रहे हैं। सवाल है कि क्या बिहार में भी शिंदे-फडणवीस फॉर्मूला दोहराया जाएगा? साल 2022 में महाराष्ट्र में बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर राजनीतिक तौर पर चौंका दिया था, जबकि पूर्व सीएम फडणवीस को उपमुख्यमंत्री पद दिया गया। बिहार में भी ऐसी अटकलें तेज हैं कि सम्राट चौधरी जैसे चेहरों को आगे कर जदयू को पीछे छोड़ने की रणनीति तैयार की जा सकती है।
नीतीश के बेटे निशांत भी राजनीति में सक्रिय
इधर, सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में सक्रियता को लेकर भी सियासी चर्चाएं जोरों पर हैं। निशांत कुमार ने हाल ही में राजनीति में आने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि वे पिता के विकास कार्यों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। जानकारों का मानना है कि 2025 के चुनाव के बाद उनके लिए राजनीतिक मंच तैयार किया जा सकता है। क्या यह भविष्य की विरासत की शुरुआत है?
चुनाव को निर्णायक बना सकती है बीजेपी की रणनीत
मुख्यमंत्री पद को लेकर अब भी सब कुछ साफ है? या फिर चुनाव के बाद राजनीतिक समीकरणों में बड़ा फेरबदल हो सकता है? चाहे भाजपा की सफाई हो या महाराष्ट्र मॉडल की चर्चा, संकेत साफ हैं। बिहार में सब कुछ स्थिर नहीं है। निशांत कुमार की भूमिका और बीजेपी की रणनीति इस बार के चुनाव को रोचक ही नहीं, बल्कि निर्णायक भी बना सकती है।
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