Singham Again Bhool Bhulaiyaa 3 Opinion: नाम बड़े और दर्शन छोटे, यह कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी। चलिए इसे उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। दीवाली के मौके पर आपको मिठाई खरीदनी थी, आपने एक मिठाई वाले के बारे में बहुत सुन रखा था। इंटरनेट पर भी उसकी तारीफों के पुल बंधे हुए थे। लिहाजा आप खास दिन पर खास स्वाद के लिए फेमस मिठाई वाले से मिठाई ले आए, लेकिन जब मिठाई खाई तो अहसास हुआ कि इससे अच्छी मिठाई तो आपके पड़ोस वाला हलवाई बना लेता है।
आप उस समय जो अनुभव कर रहे होंगे, वैसा ही अनुभव भूलभुलैया 3 और सिंघम अगेन देखने वालों को हो रहा है। दोनों फिल्मों का प्रचार इस कदर हुआ मानो इनसे बेहतर कोई फिल्म आई ही नहीं। सोशल मीडिया पर इन्हें अच्छा बताने वाले रिव्यू धड़धड़ा आए। 100 करोड़ की कमाई के आंकड़े भी मीडिया में छाए रहे। नतीजतन, सिनेमाप्रेमी मूवीज देखने थियेटर पहुंचे, लेकिन जब फिल्म देखकर बाहर निकले तो अधिकांश चेहरे लटके हुए थे।
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दोनों फिल्में ओवर एक्टिंग-ओवर एक्शन से भरीं
अगर मुझे इन फिल्मों का सीधा-सटीक रिव्यू लिखना हो तो मैं कहूंगा- आईफ़ोन के डिब्बे में कीपैड वाला फोन। दोनों ही फिल्मों की स्टारकास्ट बड़ी है, लेकिन उनका हुनर छोटा साबित हुआ है। मेरे लिए यह समझना मुश्किल है कि इन फिल्मों को क्यों और किस मकसद से बनाया गया है? भूलभुलैया 3 देखने के बाद मैं कुछ देर के लिए खुद भूल गया कि यह करोड़ों खर्च करके बनाई गई फिल्म है या नुक्कड़ पर होने वाला नाटक। नुक्कड़ नाटक के कलाकार फिर भी अच्छी एक्टिंग कर लेते हैं, लेकिन इस फिल्म के अधिकांश कलाकार ओवर एक्टिंग करते नज़र आए। इस लिस्ट में कार्तिक आर्यन को मैं सबसे पहले रखूंगा।
सिंघम अगेन भी ओवर एक्शन से भरी फिल्म है। शायद इसके मेकर्स को पहले से इल्म था कि स्टोरी के दम पर फिल्म नहीं चलेगी, इसलिए बड़े चेहरों को साइन कर लिया, ताकि उनकी बदौलत ही सही लोग थिएटर तो पहुंचेंगे। बड़े चेहरों और प्रचार के बल पर कुछ देर की लोकप्रियता हासिल की जा सकती है, कलेक्शन के बड़े आंकड़ें भी जुटाए जा सकते हैं, लेकिन इन्हें कायम नहीं रखा जा सकता। भूलभुलैया 3 करीब 150 करोड़ के बजट में बनी है और 4 दिन में इसने करीब 200 करोड़ कमा लिए हैं, यानि फिल्म इसके मेकर्स और स्टारकास्ट सभी के लिए फायदेमंद रही, लेकिन 400 रुपये से ज्यादा की टिकट खरीदने वाला मेरे जैसा दर्शक ठगा-सा महसूस कर रहा है।
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ऐसी फिल्में सिनेमा जगत का भविष्य खराब करेंगी
वैसे सिर्फ यह दोनों फिल्में ही नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली साबित नहीं हुईं, बीते समय में ऐसी कई फिल्में आईं, जिन्होंने दर्शकों को मायूस किया है। यदि आप क्रोनोलोजी देखें तो पाएंगे कि आजकल ऐसी फिल्में बनने लगी हैं, जिनका प्रभाव, आकर्षण केवल चंद दिनों तक रहता है। टिकट महंगी रखी जाती है, ताकि चंद दिनों में ही लागत की भरपाई की जा सके। क्या ऐसी फिल्में सिनेमा जगत के भविष्य के लिए सही हैं? कोरोना महामारी ने फिल्म इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। घरों में कैद दर्शकों को OTT का ऐसा चस्का लगा कि उन्होंने हालात सामान्य होने पर भी सिनेमा हॉल जाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बड़ी मुश्किल से वह वापस थियेटर लौटे हैं, लेकिन भूलभुलैया 3 और सिंघम अगेन जैसी ओवररेटेड फिल्में तस्वीर को फिर पलट सकती हैं।
बॉलीवुड को अब इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा। महज कलेक्शन के आंकड़े दिखाकर फिल्म को हिट साबित करना और उसकी कथित सफलता पर जश्न मनाना भारी पड़ सकता है। अच्छे कंटेंट के बल पर लो बजट और लो स्टार कास्ट वाली कई फ़िल्में हिट हुई हैं, इसलिए बॉलीवुड को कंटेंट पर फोकस करना होगा, अन्यथा उसका भविष्य अंधकार में नज़र आ रहा है।
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