Relationship Tips: डिटैचमेंट या वैराग्य का मतलब यह नहीं है कि आप जो चाहते हैं उसे छोड़ दें या उससे दूर चले जाएं लेकिन जिन चीजों के पीछे आप भागते हैं उन्हें अक्सर खो देते हैं क्योंकि शायद वो चीजें या वो लोग आपके लिए बने ही नहीं हैं. इसी बारे में बता रहे हैं हिपनोथेरैपिस्ट प्रतीक बजाज. थेरेपिस्ट (Therapist) ने बताया कि किस तरह आप जिसे चाहते हैं उसे पा सकते हैं. यहां जानिए अपने प्यार या किसी जरूरी चीज को पाने के लिए किस तरह सीखा जाता है लॉ ऑफ डिटैचमेंट (Law Of Detachment) और यह क्यों जरूरी है.
किस तरह जिंदगी में रहेंगे जरूरी लोग
थेरेपिस्ट ने बताया आप जिस चीज के पीछे जितना भागते हैं वो आपसे उतनी ही दूर चली जाती है, चाहे वो कोई इंसान हो, मोहब्बत हो या तुम्हारा सपना. यही है लॉ ऑफ डिटैचमेंट. जब तुम किसी चीज से बहुत ज्यादा चिपक जाते हो तो तुम उसे नहीं बल्कि अपने आप को खो देते हो. फिर हर इमोशन, हर ख्याल बस उसी चीज के चारों ओर घूमता रहता है. यहां पर ही गेम चेंज करने की जरूरत होती है.
डिटैचमेंट का मतलब किसी चीज को छोड़ देना नहीं है, इसका मतलब है अपनी शांति (Peace) को पहले रखना. थेरेपिस्ट कहते हैं कि जब तुम छोड़ना सीख जाते हो तो तुम्हें समझ आ जाता है कि जो तुम्हारा है वो चलकर तुम तक जरूर आएगा, उसके पीछे भागने की जरूरत नहीं है. थेरेपिस्ट इस बात पर जोर देते हैं कि आपको सोचकर देखना चाहिए कि जो चीज तुम्हारे लिए बनी है तुम्हें उसके पीछे भागने की जरूरत नहीं होती. वो खुद रास्ते बनाकर तुम तक चलकर आती है.
थेरेपिस्ट कहते हैं कि आपको खुद से यह वादा करना चाहिए कि अब आप किसी के पीछे नहीं भागेंगे, अपनी एनर्जी उन लोगों और चीजों पर खर्च नहीं करेंगे जो आपको छोड़ने के लिए बने हैं.
कैसे सीखते हैं लॉ ऑफ डिटैचमेंट
- वर्तमान में जीकर और अतीत को पीछे छोड़कर लॉ ऑफ डिटैचमेंट सीखा जाता है.
- यह समझना जरूरी है कि आपके कंट्रोल में कुछ नहीं है और स्वीकार करना जरूरी है.
- खुद में खुशी ढूंढना जरूरी है.
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