Mughal in Ramadan: रमजान का इतिहास बहुत पुराना है। हर देश में इस महीने का इस्तकबाल करने का अलग तौर तरीके हो सकते हैं, लेकिन जो नहीं बदलता है वह है इसकी रौनक। जिस तरह से आज के दौर में लोग रमजान के महीने में हर तरफ रौनकें देख रहे हैं, वैसे ही मुगलों के दौर में भी रमजान के महीने को खास बनाने के लिए बहुत से इंतजाम किए जाते थे। बहुत सी आज भी ऐसी डिश हैं, जो मुगलों के किचन से निकली हैं। मुगलों के किचन में रमजान के दौरान सैकड़ों तरह का खाना पकाया जाता था। जानिए उस दौर में किस तरह से रमजान सेलिब्रेट किया जाता था।
सहरी और इफ्तार की तैयारी
कई इफ्तार या सहरी में लोग ज्यादा से ज्यादा डिशिज बनाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि पूरे दिन से भूखे-प्यासे रोजेदारों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। मगर मुगलों के दौर में रमजान की रौनक अलग ही होती थी। इतिहासकारों के मुताबिक, इस दौरान मुगलों के किचन में सहरी और इफ्तार के लिए सैकड़ों तरह का खाना पकता था। जिसमें कई तरह की रोटियां, सब्जियां, कबाब और मिठाईयां शामिल होती थीं।
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तरह-तरह के पकवान
मुगलों के किचन में रमजान के दौरान शाही व्यंजनों की भरमार रहती थी। कोरमा, चिकन दो प्याजा, चिकन कोरमा, मछली, रायता, खीरे और ककड़ी की दोग, पनीर की चटनी, सिमनी, दही बड़े, बैंगन और आलू का भर्ता, चने की दाल का भर्ता, दलमा और करेलों से बनी कई चीजें शामिल होती थीं। इसके अलावा, कबाब में सीक कबाब, शामी कबाब, तीतर के कबाब और बादशाह की पसंदीदा चीजें होती थीं।
इसके अलावा, चपातियां, फुल्के, पराठे, बेसनी रोटी, खमीरी रोटी, नान और शीरमाल जैसी चीजें शामिल होती थीं। मिठाई में सिवई, फिरनी, खीर, बादाम की खीर, कद्दू की खीर, और गाजर की खीर जैसी कई स्वीट शामिल डिश रहती थीं।
ईद से ज्यादा किस त्योहार की रौनक?
अकबर से लेकर शाहजहां के दौर तक सभी त्योहार खूब शानों शौकत के साथ मनाए जाते थे, लेकिन सबसे धूमधाम से और शानों शौकत के साथ मनाया जाने वाला त्योहार ईद नहीं था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, औरंगजेब ने ‘नवरोज’ (नवरोज’ पारसी समुदाय का त्योहार है, पारसी नववर्ष की शुरुआत ) त्योहार को बड़े पैमाने पर मनाना शुरू किया, जिसको ईद से भी ज्यादा बड़े पैमाने पर मनाया जाता था।
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