Hindu Warrior Queens Who Defeated Mughals And British: कई बार ये कहा जाता है कि तुम महिला हो ये काम नहीं कर सकती हो। हालांकि एक तरफ ये भी कहा जाता है कि महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं। भारतीय इतिहास भी इस बात का गवाह रहा है कि देश की आजादी में जितनी भूमिका पुरुषों की रही है उतनी ही महिलाओं की भी रही है। कई महिलाएं ऐसी हैं जो शक्ति, साहस और बल का प्रतीक बनकर पूरी दुनिया में उभरी और अपनी एक अमिट छाप छोड़ गईं। महिला दिवस वीक के मौके पर ऐसी ही 5 हिंदू वीरांगनाओं के बारे में जानते हैं जिनसे मुगल ही नहीं अंग्रेज भी थर-थर कांपते थे।
1. रानी दुर्गावती
सबसे पहले हम बात कर लेते हैं रानी दुर्गावती की जो गोंडवाना की रानी थीं। पति की मौत के बाद रानी दुर्गावती ने बेटे का मार्गदर्शन करते हुए शासन किया। रानी ने अपने शासन काल में कई लड़ाइयां लड़ी। उन पर अकबर की सेना ने तीन बार आक्रमण किया। लेकिन तीनों बार अकबर की सेना को रानी ने खदेड़ दिया। एक महिला शासक से इतनी बार पराजित होने के बाद अकबर के सेनापति ख्वाजा ने 1564 में और उस युद्ध में रानी बुरी तरह घायल हो गईं, लेकिन आत्मसमर्पण करने के बजाए उन्होंने खुद को खंजर से खत्म कर लिया और अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।
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2. रानी ताराबाई
शायद कम ही लोगों को पता होगा की रानी ताराबाई छत्रपति शिवाजी महाराज की पुत्रवधू थीं। क्या आप जानते हैं कि रानी ताराबाई ही वो शासिका थीं जिन्होंने अंग्रेजों से वापस मराठा साम्राज्य को छीना। यही नहीं उन्होंने अपनी सुझबुझ से पुन: मराठा शासन को स्थापित किया। साल 1700 में ताराबाई के पति राजा राम का देहांत हो गया। ताराबाई युद्धनीति और अस्त्र-शस्त्र में निपुण थीं। उन्होंने मुगलों और उनका साथ देने वालों के विरुद्ध लड़ाइयां लड़ीं। उन्होंने कई सालों तक औरंगजेब के उनके किले के कब्जा करने के इरादे को नाकाम किया।
3. राजकुमारी रत्नावती
जैसलमेर नरेश महारावल रतन सिंह ने जैसलमेर किले की रक्षा अपनी पुत्री राजकुमारी रत्नावती को सौंप दी थी। इसी दौरान दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने किले को घेर लिया। उसका सेनापति मलिक काफूर था। किले को मुगलों ने घेर लिया, लेकिन रत्नावती इससे घबराई नहीं, बल्कि सैनिक वेश में घोड़े पर बैठ रणभूमि में उतर सेना का संचालन करती रहीं। राजकुमारी ने काफुर समते 100 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया जिसके बाद मुगल सेना ने उन्हें घेर लिया। किले के अंदर का राशन खत्म होने लगा और राजकुमारी भूख से दुर्बल हो गई। लेकिन कभी हार नहीं मानी।
4. रानी लक्ष्मीबाई
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को तो आप सभी जानते हैं। अपने पति के देहांत के बाद उन्होंने ही झांसी का राज संभाला। उन्होंने दामोदर को गोद ले लिया। ब्रिटिश सरकार ने झांसी को अपने कब्जे में लेने के लिए दामोदर को उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया। लेकिन रानी ने अपने जीते जी अंग्रेजों की इच्छा को पूरा नहीं होने दिया और उनसे लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं। हालांकि इस दौरान उन्होंने अंग्रेजों को दांतों तले चने चबवा दिए।
5. रानी चेनम्मा
रानी चेनम्मा अंग्रेजों का विरोध करने वाली पहली भारतीय शासिका थीं। 20 हजार सैनिकों की फौज ने जब अचानक कित्तूर राज्य पर हमला कर दिया तो रानी ने अकेले ही अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजाया हुआ था। रानी चेनम्मा ने अपनी मुट्ठी भर सेना के साथ अंग्रेजों को चारों खाने चित्त कर दिया। लेकिन अंग्रेजों ने उनकी पीठ पर छुरा भोंकते हुए उन्हें धोखे से हरा दिया और रानी को कैद कर लिया।
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