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4 तीव्रता में ये हाल था, 7 में क्या होता; जानें Delhi-NCR में कितनी तीव्रता का भूकंप खतरनाक?

Earthquake Tremors in Delhi NCR: Delhi NCR समेत कई शहरों में आज सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। 4 से ज्यादा की तीव्रता में ही लोगों में दहशत फैल गई तो आइए जानते हैं कि राजधानी में कितनी तीव्रता का भूकंप तबाही मचा सकता है?

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Feb 17, 2025 08:01
Earthquake Witness
Earthquake Witness

Earthquake Reacter Scale and Magnitude: आज सोमवार सुबह अचानक दिल्ली-NCR की धरती कांपने लगी। भूकंप के भयंकर झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 मापी गई। भूकंप के झटकों से किसी तरह का जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन धरती का कंपन देखने के बाद हर कोई डरा सहमा बैठा है। लोग दहशत के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए। आइए जानते हैं कि आखिर कितनी तीव्रता वाले भूकंप से दिल्ली-NCR में इमारतों के गिरने का खतरा है? कितनी तीव्रता वाला भूकंप दिल्ली-NCR में तबाही मच सकता है, लोगों की जान ले सकता है? क्योंकि अगर 4 की तीव्रता में घरों के दरवाजे और खिड़कियां हिलने लगे तो 7 की तीव्रता वाला भूकंप आ जाए तो क्या होगा?

 

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दिल्ली-NCR भूकंप का संवेदनशील जोन

भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, दिल्ली-NCR भूकंप की दृष्टि से जोन-4 में आता है तो इस वजह से दिल्ली-NCR भूकंप के मद्देनजर संवेदनशील जोन है। ऐसे में दिल्ली-NCR में 7.9 की तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है और अगर इतनी तीव्रता वाला भूकंप दिल्ली-NCR में आया तो भयंकर तबाही का मंजर देखने को मिल सकता है। दिल्ली-NCR हिमालय क्षेत्र के नीचे टेक्‍टोनिक प्‍लेट्स के बीचों-बीच बसा है। दिल्ली-NCR से हिमालय क्षेत्र की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है।

दिल्ली-NCR के नीचे से 3 फाल्ट लाइनें भी गुजरती हैं। इस तरह दिल्ली-NCR भूंकप के लिहाज से 2 संवेदनशील इलाकों के बीच पड़ता है। इन दोनों इलाकों में प्लेट्स टकराने से दिल्ली-NCR में भयंकर विनाशकारी भूकंप आ सकता है। वैसे इससे ज्यादा और सबसे खतरनाक जोन-5 है, जिसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं।

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भूकंप क्यों आता है?

धरती के अंदर 7 बड़ी प्लेट्स हैं, जो हमेशा घूमती रहती हैं। कई बार यह प्लेट्स आपस में टकराती हैं और इस जगह को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। फॉल्ट लाइन पर ज्यादा दबाव पड़ने से अक्सर प्लेट्स का कमजोर हिस्सा टूट जाता है, जिससे धरती कांपने लगती है। भूकंप का केंद्र धरती के अंदर जितनी ऊपर होता है, उतनी ही ज्यादा तबाही होने की संभावना रहती है।

रिएक्टर स्केल क्या होता है?

भूकंप की तीव्रता नापने के लिए रिएक्टर स्केल का इस्तेमाल होता है। साल 1935 में अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिएक्टर और बेनो गुटरबर्ग ने इसकी खोज की थी। रिएक्टर स्केल लॉगरिथम पर काम करता है। रिएक्टर स्केल में 0-10 तक के अंक लिखे होते हैं। ऐसे में रिएक्टर स्केल के अनुसार, भूकंप की न्यूनतम तीव्रता 0 और अधिकतम तीव्रता 10 हो सकती है।

रिएक्टर स्केल कितना असर
0-1.9 हल्का भूकंप महसूस होता है।
2-2.9 भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है।
3-3.9 भूकंप आने पर जोर का झटका लगता है।
4-4.9 घरों की खिड़कियों को नुकसान पहुंच सकता है।
5-5.9 पंखे हिलने लगते हैं।
6-6.9 इमारतों को नुकसान हो सकता है।
7-7.9 घर गिरने की संभावना अधिक हो जाती है।
8-8.9 बड़े पुल धराशायी हो जाते हैं।
9 से ज्यादा भूकंप से भयंकर तबाही देखने को मिलती है।

यह भी पढ़ें- भूकंप आने पर भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये 4 काम, ये सावधानियां बरतनी भी जरूरी

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Feb 17, 2025 06:15 AM

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