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कौन हैं फ्रांसेस्का ओरसिनी, जिनकी एंट्री पर भारत ने लगाया बैन? मार्च में भी प्रवेश पर लगी थी रोक

मशहूर हिंदी विदुषी और SOAS की प्रोफेसर फ्रांसेस्का ओरसिनी को दिल्ली एयरपोर्ट पर वीजा उल्लंघन के आरोप में रोक दिया गया. जानिए इनके बारे में, यह कौन हैं और क्यों आ रही थी भारत.

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Oct 22, 2025 10:32
Francesca Orsini

हिंदी साहित्य की मशहूर ख्यातिप्राप्त स्कॉलर फ्रांसेस्का ओरसिनी को दिल्ली के एयरपोर्ट पर रोक लिया गया. उनके पासपोर्ट को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है और ऐसा उनके साथ इस साल दूसरी बार हो रहा है. उन पर भारतीय अधिकारियों द्वारा आरोप लगाया गया है कि उनके पर्यटन वीजा की शर्तों का उल्लंघन हुआ है. आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से.

कौन हैं फ्रांसेस्का ओरसिनी?

फ्रांसेस्का ओरसिनी एक प्रतिष्ठित हिंदी विदुषी और लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) की प्रोफेसर एमेरिटा हैं. वे मूल रूप से इटली की निवासी हैं. उन्होंने हिंदी, उर्दू और मध्यकालीन साहित्य पर गहन शोध किया है.

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फ्रांसेस्का ने दो पुस्तकें ‘The Hindi Public Sphere 1920–1940: Language and Literature in the Age of Nationalism’ भी लिखी थी जिन्हें विशेष रूप से सराहा गया है. वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिंदी, आगरा से पढ़ाई कर चुकी हैं.

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दिवाली के दिन रोका गया

फ्रांसेस्का को 20 अक्टूबर 2025 यानी सोमवार को उन्हें दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारत में प्रवेश से रोक दिया गया और उन्हें हांगकांग से लौटते समय वापस भेज दिया गया था. उनके पास पांच साल का वैध ई-वीजा था फिर भी अधिकारियों ने उन्हें प्रवेश नहीं दिया था.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई उनके पिछले दौरे के दौरान वीजा शर्तों के उल्लंघन के कारण भी की गई थी जिसके चलते मार्च 2025 से उन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया था. हालांकि, इस पर ओरसिनी का भी बयान आया है और उनका कहना है कि उन्हें अधिकारियों द्वारा कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है.

दोस्तों से मिलने आई थी ओरसिनी

ओरसिनी ने अपनी यात्रा का कारण दोस्तों से मिलने की योजना बताई थी. दरअसल, उनके मित्र दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं जिनसे वे लंबे समय बाद मिलने आ रही थीं. उनका कहना था कि वे भारत से पिछले चार दशकों से अधिक समय से जुड़ी हुई है. उन्होंने कई भारतीय विद्वानों के मार्गदर्शन में काम किया और अनेकों ग्रंथों के अनुवाद भी किए हैं. इस बार की यात्रा भी किसी शोध से संबंधित थी.

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First published on: Oct 22, 2025 10:32 AM

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