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Wayanad Landslide: मासूम बच्चे, बुजुर्ग दंपति…जब गुस्साए हाथियों के बीच बितानी पड़ी रात, कहानी सुनकर सिहर जाएगी रूह

Wayanad Landslide से चार गांवों में सबसे ज्यादा तबाही आई है। सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, सेना के जवान अभी तक 10 हजार लोगों को राहत शिवरों तक पहुंचा चुके हैं।

Edited By : Amit Kasana | Updated: Aug 2, 2024 20:19
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Wayanad Landslide
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Wayanad Landslide Rescue Family: केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड होने से अब तक मरने वालों की संख्या 334 हो चुकी है। इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता हैं। फिलहाल सेना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। खबर लिखे जाने तक सेना ने करीब 10 हजार लोगों को राहत शिविर तक पहुंचा दिया है। इन राहत शिविरों में रहने वाले हर एक शख्स की आपदा से जिंदा बच निकलने की अपनी एक कहानी है।

हर तरफ चीख-पुकार, हर किसी को अपनों की चिंता

बता दें बीते मंगलवार को देर रात मुंडक्कई, अट्टामाला, चूरलमाला और नूलपुझा चार गांवों का बड़ा हिस्सा बह गया था। राहत शिवर में रहने वाली सुजाता इन्हीं में से एक चूरलमाला गांव की रहने वाली है। बुजुर्ग सुजाता ने बताया कि रात करीब 2 बजे के आसपास अचानक लैंडस्लाइड होने की सूचना मिली। हर तरफ केवल भागो…भागो… की चीत्कार थी। उन्होंने कहा कि लोग चीख-पुकार मचा रहे थे। बस सभी को किसी तरह अपनों की जान बचाने की चिंता थी।

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जंगली जानवरों के बीच फंस गए

सुजाता बताती हैं कि उनके परिवार में उनकी पति, बेटी और दो नाती-नातिन हैं, लैंडस्लाइड का शोर सुनने के बाद सभी जो सामान हाथ में आया उसे लेकर घर से बाहर भागे। भागते हुए वह किसी तरह जंगल तक पहुंचे। रात का समय था और प्राकृतिक आपदा आने का आभास मानो जानवरों को पहले ही हो गया तो सियार, पक्षी सभी तेज आवाज निकाल रहे थे।

हाथियों का झूंड उनके सामने खड़ा था

सुजाता बताती हैं उनकी और उनकी बेटी की गोद में बच्चे थे किसी तरह वह जंगल में एक पेड़ किनारे खड़े मदद का इंतजार कर रहे थे। आसपास अंधेरा था तभी झाड़ियों में हरकत सुनाई दी। उन्होंने सोचा की कोई जानवर होगा लेकिन तभी झाड़ियों को चीरता हुआ हाथियों का एक झूंड उनकी ओर दौड़ा। मानो वह कह रहे हो कि तुम हमारे घर में क्यों आए? अभी वह कुछ समझ पाते भीमकाय तीन हाथी उनके परिवार के सामने खड़े थे।

हाथियों को देख करने लगे पूजा

सुजाता के अनुसार एक बार तो उन्हें लगा की उनकी जान लैंडस्लाइड से तो बच गई लेकिन वह और उनका परिवार हाथियों के पैरों तले कुचले जाएंगे। हाथियों का झूंड भी उन्हें गुस्से में घूर रहा था। कई बार झूंड का मुखिया चिंघाड़ता हुआ उनकी और दौड़ा। लेकिन उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। पूरा परिवार हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करने लगा और सुबह तक ऐसे की जान हाथेली पर लिए खड़ा रहा। सुबह जब जंगल में सेना के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे थे तो हाथी वहां से चले गए।

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Written By

Amit Kasana

First published on: Aug 02, 2024 08:19 PM

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