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38% पेड़ खत्म हो जाएंगे धरती से! 1000 से ज्यादा वैज्ञानिकों की रिसर्च रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

Environment Science Research Report: कोलंबिया में दुनियाभर के एक हजार वैज्ञानिक जुटे। उन्होंने धरती से पेड़ों के विलुप्त होने का अंदेशा जताया है। एक रिसर्च रिपोर्ट पेश करके इस खतरे के बारे में बताया गया और पेड़ों को बचाने की अपील दुनिया से की गई।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Nov 11, 2024 10:50
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Environment Science Research Report
धरती से हरियाली खत्म हुई तो पैदा होगा बड़ा खतरा।

Tree Species May Extinct From The Earth: धरती एक दिन पेड़ों से विहीन हो जाएगी। क्योंकि एक तिहाई पेड़ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। पेड़ों की करीब 38 प्रतिशत प्रजातियां खतरे में हैं। यह खुलासा बोटेनिक गार्डन्स कंजर्वेशन इंटरनेशनल (BGCI) और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट में हुआ है।

इस रिपोर्ट को कोलंबिया में संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता शिखर सम्मेलन COP-16 में पेश किया गया। रिसर्च में दुनियाभर के 1000 से अधिक वैज्ञानिकों ने योगदान दिया, जिन्होंने पाया गया कि करीब 192 देशों में पेड़ों का जीवन खतरे में हैं। मैगनोलिया, ओक, मेपल और आबनूस जैसी वृक्ष प्रजातियों पर विलुप्त होने खतरा ज्यादा मंडरा रहा है।

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पेड़ विलुप्त होने से पैदा हो जाएंगे ये खतरे

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई इस खतरे का बड़ा कारण है। पेड़ों की घटती विविधता, पेड़ों की बची हुई प्रजातियों के लिए जीवन कठिन बना देगी। जलवायु परिवर्तन भी सूखा और जंगल की आग जैसी समस्याओं के कारण एक अतिरिक्त खतरा पैदा कर रहा है। अगर पेड़ न हों तो मिट्टी का कटाव बढ़ जाएगा और मिट्टी की कृषि क्षमता खत्म हो जाएगी।

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पेड़ न होने की वजह से शाकाहारी जीव भूख से मर जाएंगे और शाकाहारी जीवों को खाने वाले मांसाहारी भी मर जाएंगे। पेड़ विलुप्त हुए तो पक्षियों-जानवरों की कई प्रजातियों पर खतरा मंडराएगा। यह वैश्विक जैव विविधता संकट की शुरुआत होगी, जो पूरे इको सिस्टम को प्रभावित करेगा। पेड़ों को बचाना जरूरी है, क्योंकि कई परिंदे और जानवर इनमें अपना घर बनाते हैं और वे अनाथ हो जाएंगे।

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सम्मेलन में जुटे वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

BGCI की एमिली बीच के अनुसार, हेजहॉग (कांटेदार जंगली चूहा) विलुप्त होने के करीब पहुंच गया है। यूनाइटेड किंगडम (UK) के 4 समुद्री पक्षी ग्रे प्लोवर, डनलिन, टर्नस्टोन और कर्लेव सैंडपाइपर भी लुप्त होने की कगार पर हैं। रॉयल बोटेनिक गार्डन के संरक्षक शोधकर्ता स्टीवन बैचमैन ने कहा कि पेड़ों को खोने का मतलब है, उन पर निर्भर कई अन्य प्रजातियों को खोना। इसलिए वे बीज एकत्र करके और नमूने उगाकर पेड़ों को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं।

1 नवंबर को खत्म हुए COP-16 शिखर सम्मेलन में जुटे वैज्ञानिकों ने 2030 तक दुनिया की 30% भूमि और समुद्र की रक्षा करने की प्रतिबद्धताओं पर विचार विमर्श किया। हालांकि प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें जैव विविधता बनाए रखने के लिए वित्तपोषण सुनिश्चित करना और राष्ट्रीय संरक्षण रणनीतियों को मजबूत करना शामिल है, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पेड़ विलुप्त हो सकते हैं।

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Written By

Khushbu Goyal

First published on: Nov 11, 2024 10:45 AM

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