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उदयनिधि स्टालिन को SC से राहत, सनातन धर्म पर बयान को लेकर नई FIR नहीं होगी दर्ज

Udhayanidhi Stalin: सुप्रीम कोर्ट ने सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी मामले में उदयनिधि स्टालिन को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमित के इस मामले में कोई और प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी। बता दें कि महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू और कर्नाटक सहित देश के कई हिस्सों में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: Mar 6, 2025 16:39
Supreme Court vs Lokpal Order
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)।

Supreme Court on Udhayanidhi Stalin: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया हा कि उदयनिधि के सनातन धर्म संबंधी कथित टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ बिना अनुमति के कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी। उदयनिधि स्टालिन को यह राहत देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने दी। साथ ही सनातन धर्म पर कथित टिप्पणी मामले में शीर्ष अदालत ने उदयनिधि स्टालिन को बलपूर्वक कार्रवाई से संरक्षण देने के मामले में अंतरिम आदेश की अवधि को भी बढ़ा दिया है।

उदयनिधि ने सनातन धर्म को लेकर दिया था विवादित बयान

बता दें कि सितंबर 2023 में चेन्नई में ‘सनातन उन्मूलन’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए द्रमुक नेता उदयनिधि ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है। इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। इस बयान के बाद महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू और कर्नाटक सहित देश के कई हिस्सों में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। बता दे कि स्टालिन ने पहले संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक याचिका दायर की थी जिसमें उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का दावा किया गया था और कई राज्यों में उनके खिलाफ लंबित एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की गई थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति संजय कुमार की सदस्यता वाली और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम यह उचित समझते हैं कि इस अदालत की अनुमति के बिना कोई और मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।’ पीठ ने कहा, ‘नए जोड़े गए प्रतिवादियों (राज्यों) को 15 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने की स्वतंत्रता दी गई है और यदि कोई हो तो 15 दिनों के बाद जवाब दाखिल किया जा सकता है। अंतरिम आदेश जारी रहेगा और संशोधित रिट याचिका में उल्लिखित मामलों पर समान रूप से लागू होगा।’ अदालत ने निजी शिकायतकर्ताओं से जवाब मांगने के लिए मामले को 21 अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में पोस्ट कर दिया।

उदयनिधि स्टालिन ने कही यह बात

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि पिछले साल नवंबर में कोर्ट ने सुझाव दिया था कि सभी मामलों को कर्नाटक में ट्रांसफर किया जा सकता है। तब से यानी सितंबर 2023 में ‘सनातन धर्म’ पर की गई टिप्पणी के संबंध में उनके खिलाफ नए आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

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अभिषेक मनु सिंघवी ने दी यह दलील

नए मामलों में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए स्टालिन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और पी. विल्सन ने बताया कि उनके खिलाफ पटना, जम्मू, बेंगलुरु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में मामले लंबित हैं। सिंघवी ने कहा, ‘पिछली तारीख पर अदालत ने सभी मामलों को कर्नाटक स्थानांतरित करने का संकेत दिया था। पत्रकार अर्नब गोस्वामी और भाजपा नेता नूपुर शर्मा से जुड़े पिछले मामलों में भी इस अदालत ने मामलों को एक ही जगह पर स्थानांतरित करने के समान आदेश पारित किए थे। सिंघवी ने कहा कि स्टालिन के खिलाफ बिहार में एक नया मामला दर्ज किया गया था और लंबित याचिका में शिकायतकर्ताओं को पक्षकार बनाने के लिए संशोधन याचिका दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि घटना से जुड़े मामलों को अलग-अलग जगहों पर जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। नूपुर शर्मा के मामले में शब्दों को बहुत अधिक आक्रामक माना जाता है और इस अदालत ने अन्य सभी मामलों को उस स्थान पर स्थानांतरित कर दिया, जहां पहली बार एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में का यही समाधान है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कही यह बात

वहीं, महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि यह ‘सनातन धर्म उन्मूलन’ सम्मेलन था, जहां उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि सनातन धर्म को मलेरिया, कोरोना, डेंगू आदि की तरह खत्म किया जाना चाहिए। कृपया इस बात पर गौर करें कि अगर किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री किसी खास धर्म जैसे कि इस्लाम के बारे में ऐसी ही बातें कहता है, तो क्या इसे बर्दाश्त किया जाएगा? सिर्फ इसलिए कि कोई समुदाय हिंसक प्रतिक्रिया नहीं करता। यह सज्जन उपमुख्यमंत्री हैं और ये गैर-जिम्मेदाराना शब्द हैं। मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट नफरत फैलाने वाले भाषण से जुड़े एक और मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें पिछले आदेशों में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘इस मामले की सुनवाई उस मामले के साथ ही होनी चाहिए।’

पीठ ने मेहता से कहा कि ‘हम मामले के गुण-दोष में नहीं जा रहे हैं। केवल एक सवाल यह है कि क्या इसे एक जगह स्थानांतरित किया जाना चाहिए।’ मेहता ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि हिंदुओं ने प्रतिक्रिया नहीं दी, नेता को ऐसा कहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सीजेआई ने कहा, ‘हम नहीं चाहेंगे कि सर्वोच्च न्यायालय किसी भी शब्द पर टिप्पणी करे, उनका मुकदमे पर प्रभाव पड़ता है।’

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: Mar 06, 2025 04:12 PM

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