Sonam Wangchuk: लद्दाख के सोनम वांगचुक ने गुरुवार को फ्यांग में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (HIAL) की छत पर लद्दाख को बचाने के लिए अपना पांच दिवसीय जलवायु उपवास (climate fast) शुरू किया।
शुक्रवार को एक वीडियो पोस्ट करते हुए वांगचुक ने कहा कि वह खारदुंग ला नहीं जा सकते, जहां दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क 18,000 फीट पर है। वहां वर्तमान तापमान -40 डिग्री सेल्सियस है और भारी बर्फबारी के कारण सड़कें बंद हो गई थीं।
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AFTER THE 1st DAY
OF MY #ClimateFast FOR LADAKH…
Still on rooftop as roads were blocked & I've been denied permission to get to #KHARDUNGLA
More later…#SaveLadakh@350@UNFCCC @UNEP #ilivesimply @narendramodi @LeoDiCaprio pic.twitter.com/koJvLtzvsZ---विज्ञापन---— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) January 27, 2023
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में क्या बोले वांगुचक
ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने और अन्य जलवायु आपदाओं से चिंतित सोनम वांगुचक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लद्दाख की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया है। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में सोनम वांगचुक ने कहा कि प्रशासन ने मेरे अनशन को HAIL परिसर तक सीमित कर दिया है और खारदुंग ला टॉप के लिए अनुमति नहीं दी है क्योंकि मेरी जान को खतरा है।
वीडियो में छत और आसपास के क्षेत्र को बर्फ से ढका हुआ भी दिखाया गया है। वांगचुक ने कहा कि फ्यांग का मौजूदा तापमान -20 डिग्री सेल्सियस है। वांगचुक ने पहले कहा था कि अगर लापरवाही जारी रही और लद्दाख को उद्योगों से सुरक्षा प्रदान करने से परहेज किया गया, तो यहां के ग्लेशियर विलुप्त हो जाएंगे, जिससे भारत और उसके पड़ोस में पानी की कमी के कारण भारी समस्या पैदा हो जाएगी।
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वांगुचक ने शोध का दिया था हवाला
उन्होंने कहा था कि कश्मीर विश्वविद्यालय और अन्य शोध संगठनों के हालिया अध्ययनों ने निष्कर्ष निकाला है कि लेह-लद्दाख में ग्लेशियर समाप्त हो जाएंगे। कश्मीर विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया है कि राजमार्गों और मानवीय गतिविधियों से घिरे ग्लेशियर तुलनात्मक रूप से तेज गति से पिघल रहे हैं।
वांगचुक की ओर से अपने YouTube चैनल पर शेयर किए गए 13 मिनट के लंबे वीडियो में उन्होंने तत्काल देश और दुनिया के लोगों से लद्दाख की रक्षा के लिए मदद करने की अपील की। उन्होंने भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत पारिस्थितिकी तंत्र में हस्तक्षेप करने और उसकी रक्षा करने के लिए पीएम मोदी से अपील भी की।
इससे पहले एक ट्वीट में वांगुचक ने कहा था कि लद्दाख में सब कुछ ठीक नहीं है! अपने नवीनतम वीडियो में मैं नरेंद्र मोदी से अपील करता हूं कि वे हस्तक्षेप करें और लद्दाख को सुरक्षा प्रदान करें। सरकार और दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए मैं 26 जनवरी से 5 दिन #ClimateFast पर बैठने की योजना बना रहा हूं।
Sonam Wangchuk (@Wangchuk66), a well-known social activist from #Ladakh, is going to sit on a five-days symbolic fast, demanding sixth schedule for Ladakh.
Watch : https://t.co/2YzRg0XTtW pic.twitter.com/KrRF43NLqK
— Sajjad Kargili | سجاد کرگلی (@SajjadKargili_) January 21, 2023
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क्या है छठी अनुसूची?
सोनम ने कहा कि लद्दाख सैनिक दृष्टि से भी बहुत संवेदनशील है। खारदुंगला नुब्रा घाटी का हिस्सा है, जिसकी सीमाएं एक तरफ सियाचिन ग्लेशियर के पास पश्चिम में पाकिस्तान से और पूर्व में गलवान घाटी में चीन से लगती है।
जानकारी के मुताबिक, साल 1949 में संविधान सभा की ओर से पारित छठी अनुसूची में स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद और स्वायत्त जिला परिषदों के माध्यम से ‘आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा’ का प्रावधान है। यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244 (2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत किया गया है। राज्यपाल को स्वायत्त जिलों को गठित करने और पुनर्गठित करने का अधिकार है। लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने पर यहां की विशेष संस्कृति, भूमि अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
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(Xanax)