नई दिल्ली: द्वारिका और ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati) का निधन हो गया है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को आज नरसिंहपुर के झोंतेश्वर में दोपहर 3.30 बजे समाधि दी जाएगी। इन दिनों स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती नरसिंहपुर में झोटेश्वर परमहंसी गंगा आश्रम में रह रहे थे। रविवार दोपहर 3.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 9 साल की उम्र में घर छोड़ने वाले स्वरूपानंद सरस्वती को 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली थी।
पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख जाहिर किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।
Dwarka Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati passes away at the age of 99, in Madhya Pradesh's Narsinghpur
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---विज्ञापन---— ANI (@ANI) September 11, 2022
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएंगे। उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें। ओम शांति।
द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएँगे। उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ। ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें। ॐ शांति pic.twitter.com/uPnv3JEull
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) September 11, 2022
स्वरूपानंद सरस्वती का 1924 में हुआ था जन्म
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 1924 में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में पोथीराम उपाध्याय के रूप में हुआ था। मात्र 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़कर धर्म की तरफ रुख किया था। उन्होंने काशी (यूपी) में वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली थी। 1982 में वे गुजरात में द्वारका शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने थे।
हाल ही मनाया था अपना जन्मदिन
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने 3 सितंबर को अपना 99वां जन्मदिन मनाया था। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य नेताओं और लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दी थी।
बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से बीमार थे। वे द्वारका के शारदा पीठ और ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य थे। राम मंदिर निर्माण के लिए शंकराचार्य ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। इसके अलावा उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी भाग लिया था। इस दौरान उन्होंने वाराणसी के जेल में 9 और मध्य प्रदेश के जेल में 6 महीने यानी कुल 15 महीने की सजा भी काटी थी।